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रजिस्ट्रार दफ्तर को मिला चार माह में 8.34 करोड़ राजस्व…

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पांच डिसमिल से कम जमीन की रजिस्ट्री में प्रतिबंध हटने के बाद अब मध्यम वर्गीय परिवार भी शहर के आउटर में जमीन की तलाश करने लगे हैं। जमीन खरीदी में हो रहे इजापᆬा से रजिस्ट्रार दफ्तर के राजस्व आय में बढ़त देखी जा रही है। दफ्तर ने चार माह के भीतर 1638 दस्तावेजों का पंजीयन कर 8.34 करोड़ का आय अर्जित किया है। बीते वर्ष इसी तिथि तक 1267 दस्तावेजों के पंजीयन से 7.87 करोड़ आय अर्जित किया था। रिहायशी क्षेत्र की जमीन की कीमत यथावत मंहगी है। सड़क मार्ग से लगी भूमि पर पूंजीपतियों का स्वामित्व होने से मध्यमवर्गीय लोगों के लिए खरीदारी अब भी दूर है।

रजिस्ट्रार दफ्तर के राजस्व आय में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ऑनलाइन रजिस्ट्री प्रक्रिया शुरू होने के बाद अब क्रेता और विक्रेता पक्ष के रजिस्ट्री पारदर्शिता पूर्ण है। भले ही शहर के रिहायशी क्षेत्र के जमीन पर पूंजीपति वर्ग के लोगों का दबदबा बना हुआ था। मध्यम वर्गीय लोगों के लिए सड़क किनारे अथवा कॉलोनी क्षेत्र में जमीन खरीदी करना बूते से बाहर है, किंतु पांच डिस्मिल से कम जमीन की रजिस्ट्री शुरू होने से आवश्यकता पड़ने पर सीमिति जमीन के इच्छुकों को अधिक जमीन की बिक्री नहीं करनी पड़ रही है। इससे पहले पांच डिस्मिल जमीन बेचने के इच्छुक लोगों को न चाह कर भी पांच डिस्मिल से अधिक जमीन बेचनी पड़ती थी। जमीन की खरीदी-बिक्री आमदनी का बड़ा जरिया होने से बीते वर्षों में अधिक कीमत देकर जमीन खरीद ली है। वर्तमान में कीमत इतनी अधिक है कि सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार के लिए खरीदी कर पाना जटिल है। बहरहाल ग्रामीण क्षेत्र के छोटी लीज की जमीन को खरीदी-बिक्री करने में ग्रामीणों को सहूलियत हो रही है। इसका सीधा असर राजस्व में देखा जा रहा है। राजस्व आय में बढ़ोतरी किसी बड़े खदान को लीज पर लिए जाने या बड़ी कंपनी के प्रोजेक्ट तैयार करने में होती है। पिछले तीन साल से राजस्व आय में इजापᆬा किया जा रहा है। बीते वर्ष राजस्व लक्ष्य 39 करोड़ लक्ष्य पूरा नहीं होने के कारण जारी वित्तीय वर्ष में लक्ष्य घटा कर 36 करोड़ किया गया है। बढ़ते आय से लक्ष्य मिलने की संभावना है।

स्पाट निरीक्षण का मिल रहा फायदा

आय में हुई वृद्धि में स्पॉट निरीक्षण का भी असर देखा जा रहा है। पहले आवास को जमीन बता कर विक्रय कर दिया जाता था, जिससे रजिस्ट्रार दफ्तर को मलबे के स्टांप ड्यूटी का राजस्व नहीं मिलता। अब शासन से स्पॉट निरीक्षण अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में आवास को सामान्य जमीन बता कर बिक्री करना मुश्किल है। भूइयां योजना के तहत जमीन का कंप्यूटरीकरण होने से जमीन बिक्री में पारदर्शिता देखी जा रही है।

बेजा कब्जा को बढ़ावा

रिहायशी व मास्टर प्लान वाले जमीन के अलावा आसपास की जमीन पर भी पूंजीपतियों का वर्चस्व होने से लोग कम दर पर बेजा कब्जा की जमीन खरीद रहे हैं। सरकारी जमीन में बेजा कब्जा कर खरीदी-बिक्री करना भी उम्दा व्यवसाय बन गया है। शहरी क्षेत्र में विभिन्न योजनाओं को मूर्तरूप देने के लिए प्रशासन को आए दिन तोड़पᆬोड़ का रास्ता अख्तियार करना पड़ता है। बेजा कब्जा की शुरुआत में ही कार्रवाई नहीं किए जाने से कब्जाधारियों के हौसले बुलंद हैं।