नेहरू शताब्दी चिकित्सालय (एनसीएच) में व्याप्त अव्यवस्था को लेकर मरीज एवं उनके परिजनों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। सफाई का अभाव, गंदे गद्दे, तकिए एवं टूटे पलंग के कारण मरीज भर्ती होने में घबराने लगे हैं। पर्याप्त बिजली नहीं होने से मरीज को इंजेक्शन व स्लाइन कई बार मोबाइल टॉर्च की रोशनी में लगाना पड़ता है।
एसईसीएल गेवरा स्थित एनसीएच के ग्राउंड फ्लोर में दोनों वार्ड को जोड़ने वाला बीच की जो पैसेज में अंधेरा बना हुआ है। चिकित्सालय में एसी तो बस देखने के लिए लगे हुए हैं। वार्षिक रखरखाव अनुबंध होने के बाद भी पता नहीं क्यों एसी का मेंटेनेंस का कार्य नहीं किया जा रहा है। कंपनी ने मरीजों की सुविधा हेतु सभी वार्ड में टेलीविजन लगाए हैं, पर लंबे अरसे से सभी टीवी बंद पड़े हुए हैं। स्टाफ नर्सों को ड्यूटी के दौरान वाशरूम का उपयोग करना एक टास्क बन गया है। वाशरूम का एग्जास्ट फैन कई बार शिकायत करने के बाद भी आज तक ठीक नहीं हो पाया और स्टाफ बदबू से परेशान है। बेड के लगे लोहे के पाया कई जगहों से गल गए हैं, गद्दे की हालत बद से बदतर हो गई है, मरीजों को अपने उपयोगी सामान दवाई वगैरह रखने के लिए छोटी आलमारियों की हालत तो कहीं-कहीं दो पैर में कहीं-कहीं तीन पैर पर रखी हुई हैं। उन छोटी आलमारी में सामान रखते ही पूरा सामान जमीन पर गिरकर टूट जाता है या खराब हो जाता है। पूरा हॉस्पिटल इस समय मच्छरों की गिरफ्त में है। पंखे भी कछुआ की गति से घूम रहे हैं। नेहरू शताब्दी हॉस्पिटल गेवरा का समस्याओं से लगता है, कोई पुराना गहरा रिश्ता नाता है जो कभी खत्म होने का नाम ही नहीं लेता।
सर्वसुविधायुक्त बनाने की योजना ठंडे बस्ते में
एनसीएच को सर्वसुविधायुक्त हॉस्पिटल बनाने की योजना बनाई गई थी। स्टैंडराजेशन कमेटी की बैठक में प्रस्ताव पारित कर एक हजार करोड़ की लागत से चिकित्सालय का जीर्णोद्धार समेत अन्य कार्य किए जाने थे, पर स्थिति बदलते जा रही है। ऐसा लग रहा है कि चिकित्सालय स्वयं बीमार होते जा रहा है। चिकित्सालय में व्याप्त समस्याओं को देखकर कर्मचारी एवं मरीज कहते हैं कि एनसीएच की बजाय बाहर इलाज कराना ज्यादा अच्छा है।
कर्मियों में सामजंस्य का अभाव
चिकित्सालय में कार्यरत कर्मियों में सामंजस्य का अभाव है। एक मेट्रन (इंचार्ज) की कार्यप्रणाली को लेकर चिकित्सक एवं स्टाफ नर्स परेशान हैं और इसकी शिकायत महाप्रबंधक तक पहुंच चुकी है, पर समस्या का समाधान नहीं हो सका है। स्टाफ का कहना है कि मेट्रन को हटाने की मांग करते हुए कहा गया है कि यदि कार्रवाई नहीं की जाती है तो अन्य सभी स्टाफ को स्थानांतरित कर दिया जाए। बावजूद प्रबंधन ने संबंधित मेट्रन के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। उधर एक चिकित्सक को बाहर साइकिल स्टैंड में बैठकर मरीजों का इलाज करना पड़ रहा है। स्टाफ में विवाद का असर मरीजों पर पड़ रहा है।
एनसीएच में व्याप्त अव्यवस्था को लेकर एचएमएस के वरिष्ठ नेता एससी मंसूरी ने कहा कि चिकित्सालय की व्यवस्था सुधरने की बजाय दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रही है। इससे मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है। स्टाफ में आपसी सामंजस्य का अभाव बना हुआ है। शिकायत होने के बाद भी प्रबंधन गंभीरता से निराकरण करने का प्रयास नहीं कर रहा। हॉस्पिटल में साफ-सफाई का अभाव, गंदे तकिया, गद्दे, सड़ रहे पलंग को बदलना जरूरी है, पर इस समस्या की ओर ध्यान देने की बजाय प्रबंधन चुप्पी साधे बैठा हुआ है।