ओडिशा के जंगल से घुसा 12 हाथियों का दल जिले में आकर कई दलों में बंट गया है। रात में हाथी गांव में घुसकर आतंक मचा रहे हैं। 3 दिनों में हाथियों ने 15 से ज्यादा मकान तोड़ दिए हैं। इनकी वजह से 30 से अधिक गांव के लोग रात के वक्त जगकर पहरेदारी कर रहे हैं। टूटे मकानों के ग्रामीण घर के कोने में रात काट रहे या पड़ोसियों के यहां शरण ले चुके हैं। हाथियों का हमला इसी तरह जारी रहा तो वन विभाग व जिला प्रशासन को बेघर हो रहे ग्रामीणों के लिए पक्के छत की व्यस्था करनी होगी। मंगलवार बुधवार की दरम्यानी रात को एक दंतैल ने घूम-घूमकर कई गांव में आतंक मचाया और तीन मकान तोड़ डाले। रात आठ बजे हाथी कांटाटोंगरी जंगल से निकलकर आंवलानगर गांव में घुस आया। यहां उसने अर्जुन राम पिता कुंभकर्ण राम के मकान को तोड़ दिया।
अच्छी बात यह रही कि इस रात को अर्जुन राम के परिवार के सभी सदस्य एक शोक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दूसरे गांव गए थे। यदि होते तो कोई अप्रिय घटना भी हो सकती थी, क्योंकि अर्जुन राम के मकान में सिर्फ एक ही दरवाजा था। इसी रात को हाथी ने भेजरीढ़ाप में वनरक्षक के क्वाटर के सामने ही राजेन्द्र राम का मकान तोड़ दिया। राजेन्द्र के घरवालों ने घर से भागकर जान बचाई।
भेजरीढ़ाप से निकलकर यह हाथी कोरंगामाल गांव की ओर निकल गया। बीते तीन दिन से ग्रामीणों के 15 मकान हाथी तोड़ चुका है। कई मकानों को पर हाथी ने बार-बार हमला किया है। सुईजोरी गांव में हाथी ने कुदंबाई पति लेगराम के मकान पर दाे बार, पास्कल पिता सखी मिंज के मकान में 3 बार और मंगल पिता अदराम के मकान पर तीन बार हमला किया है।
धान के कोठियों पर कर रहा हमला- ग्रामीणों ने बताया कि हाथी धान की गंध पाकर भी मकान पर हमला कर रहा है। वन विभाग द्वारा दी जा रही समझाइश के बाद हाथी प्रभावित गांव में शराब बनाने का काम लगभग थम सा गया है। पके हुए कटहल भी अब गांव में नहीं हैं। कहा जाता है कि हाथी इनकी गंध से आकर्षित होते हैं, पर अभी हाथियों को आकर्षित करने जैसा गांव में कुछ नहीं है। फिर भी बस्ती में हाथियों के घुसने का सिलसिला नहीं थम रहा है।
मैनपाट के खाल कंडराजा पहुंचा 14 हाथियों का दल : अंबिकापुर| मैनपाट से लगे कापू रेंज के खाल कंडराजा में बुधवार सुबह 14 हाथियों का दल पहुंच गया, जिससे अफरा-तफरी मची रही। हाथी जंगल से निकलने के बाद बस्ती से लगे धान के खेत में घुस गए थे। यह देखकर लोगों की भीड़ लग गई। कुछ लोग हाथियों को भगाने के लिए हो हल्ला कर हरे थे तो कुछ दूर से पत्थर मार रहे थे।
गणेश व प्यारे हो चुके हैं अर्धविक्षिप्त बेहोश कर बाड़े में किए जाएंगे कैद : रायपुर | सरगुजा और रायगढ़ के गांवों में घुसकर ग्रामीणों की जान लेने वाले गणेश और प्यारे हाथी को वन विभाग ने अर्धविक्षिप्त मान लिया है। अब इन दोनों हाथियों को ट्रैक्युलाइज किया जाएगा। बेहोशी का इंजेक्शन विशेष तरह की गन में लगाकर उन्हें मारा जाएगा। इंजेक्शन के असर से दोनों बेहोश होंगे। उसके बाद उन्हें बड़ी गाड़ी में लादकर एलीफेंट रिजर्व फॉरेस्ट लेमरू के सुरक्षित बाड़े में रखा जाएगा। ये बाड़ा इतना बड़ा होगा कि उन्हें कैद होने का आभास नहीं होगा। उन्हें चारा और बाकी सारी सहूलियतें वहीं उपलब्ध करायी जाएंगी। दोनों अब तक कई ग्रामीणों की जान ले चुके हैं। इस वजह से वन विभाग के अफसरों ने उन्हें कैद में रखने का फैसला किया है। बुधवार को वन विभाग की समीक्षा बैठक में वन मंत्री मोहम्मद अकबर के सामने दोनों हाथियों पर चर्चा हुई।
अफसरों ने उन्हें बताया कि दोनों हाथी लगातार ग्रामीणों को निशाना बना रहे हैं। वन मंत्री के सामने अफसरों ने कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि इससे स्पष्ट हो रहा है कि हाथी जानबूझ कर लोगों की जान ले रहे हैं। ऐसे में अब उन्हें खुला छोड़ना बेहतर नहीं होगा। अफसरों ने ही उन दोनों हाथियों को ट्रैंक्युलाइज करने का प्रस्ताव दिया। गौरतलब है कि इसके पहले 1992-93 में ऑपरेशन जंबो चलाकर हाथियों को ट्रैंक्युलाइज किया गया था।
उस समय भी कुछ हाथी बेकाबू होकर लोगों की जान ले रहे थे।