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गुमियापाल के ग्रामीण आठवें दिन भी नक्सली गिरफ्त में…

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जिले के गुमियापाल गांव के ग्रामीण आठवें दिन भी नक्सली गिरफ्त में रहे। उन्हें छोड़ने के लिए नक्सलियों की ओर से कोई मांग या शर्त भी सामने नहीं आई है और न ही परिजनों की ओर से पुलिस को सूचना दी जा रही है। हांलाकि ग्रामीणों के गांव नहीं लौटने पर परिजन चिंतित और भयभीत हैं। रविवार को परिजनों से मिलने पहुंच आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम भी पहुंचे थे। उनके सामने भी परिजन खुलकर बात करने से कतराते रहे। मनीष ने उन्हें सलाह दी है कि अपने परिजनों की भलाई के लिए किसी भी माध्यम से गुहार लगाए अथवा उन्हें अपील के साथ खोजने खुद जंगल जाएं।

किरंदुल थाना क्षेत्र के ग्राम गुमियापाल की एक युवती सहित अन्य छह ग्रामीणों को मुखबिरी के शक में नक्सली बीते सोमवार की रात गांव से उठाकर ले गए हैं। इससे पहले गांव में मुखबिरी का आरोप लगाते कुछ लोगों से मारपीट भी की थी। ग्रामीणों के अपहरण की सूचना जिला मुख्यालय तक दो दिन बाद पहुंची लेकिन पुलिस के पास कोई रिपोर्ट दर्ज कराने आज तक नहीं पहुंचा है। उधर जानकारी के बाद समाजसेवी सोनी सोरी और स्थानीय मीडिया गुमियापाल पहुंची थी। जिन्हें ग्रामीणों ने जंगल जाने से मना कर दिया। इसके एक दिन बाद अपह़त युवती किरण को लेकर नक्सली गुमियापाल पहुंचे थे। जहां परिजनों से मुलाकात और कपड़े आदि लेकर वापस दूसरे गांव ले गए। बताया जा रहा है किरण नक्सलियों की निगरानी में है। उसे और अन्य ग्रामीणों को छोड़ा नहीं गया है। ग्रामीणों के माध्यम से खबरें भी आ रही है कि जल्द ही ग्रामीणों की रिहाई होगी लेकिन इससे पहले उन्हें नक्सली जनअदालत में पेश करेंगे।

अपील करने की सलाह दी मनीष ने

नईदुनिया से चर्चा में आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम ने कहा कि उन्होंने रविवार को गुमियापाल जाकर अपहृत ग्रामीणों के परिजनों से मुलाकात की है। इस दौरान सभी चिंतित और भयभीत नजर आए। खुलकर किसी ने कुछ नहीं कहा। बावजूद मनीष ने उचित माध्यम से अपील कर परिजनों को खोजने के लिए जाने की सलाह दी है ताकि अपहृत ग्रामीण सुरक्षति गांव लौट सके।

इसलिए हुआ ग्रामीणों अपहरण

जुलाई महीने में ग्राम गुमियापाल में पुलिस नक्सली मुठभेड़ हुई थी जिसमें महिला समेत दो नक्सली मारे गए थे। महिला नक्सली कोई मामूली नही थी वहां शीर्ष नक्सली विनोद हेमला की बेटी थी। इसी वजह से नक्सली पूरे गुमियापाल गांव को शक भरी नजरों से देख रहे है और पुलिस का मुखबिर तलाश रहे है। यही वजह है कि मुठभेड़ के बाद से गांव के लोगों की नक्सली पड़ताल करने में लगे हैं।