Home News बैंगन से हो रही किसानों को अच्छी आमदनी जनिए…

बैंगन से हो रही किसानों को अच्छी आमदनी जनिए…

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दंतेवाड़ा अक्टूबर के महीने में किसान मक्का, तिलहन, दलहन, सरसों जैसी रबी की फसलें लगाने की तैयारी शुरू कर देते हैं। लेकिन इसी महीने में वे बैंगन की फसल लगाकर दो महीनों में ही अच्छी कमाई कर सकते हैं। जैविक जिला बनने के बाद दंतेवाड़ा के अनेक किसान बाड़ी में बैंगन की खेती कर आमदनी बढ़ा ली है। ऐसे किसानों का कहना है कि बैंगन की खेती में दो-तीन महीने में अच्छी आमदनी हो जाती है, इतनी अन्य फसल में मेहनत के मुताबिक नहीं होता।

उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बैंगन की खेती का सही समय सितंबर-अक्टूबर के महीने में पौधे की रोपाई की जाती है। इसके करीब दो महीने बाद यानी दिसंबर-जनवरी में बैंगन की फसल तैयार हो जाती है।

इन बीजों का करें उपयोग :

काजोल, विजय, अर्कानवनीत, आजाद क्रांति, पंत सम्राट, पूसा हाइब्रिड-5, पूसा हाइब्रिड-6

ऐसी जमीन पर लें फसल और करें तैयारी :

बैगन की खेती के लिए उत्तम जल निकास वाली सभी तरह की भूमि का उपयोग किया जा सकता है। जीवांशयुक्त और दोमट वाली चिकनी भूमि इसके लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त होता है। पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए 5.5 से 6.0 पीएची की भूमि उपयुक्त पाई गई है। जमीन को चार-पांच बार जुताई कर फसल के लिए तैयार करना चाहिए। गोबर खाद, फास्फोरस, पोटाश की पूर्ण मात्रा तथा नाइट्रोजन की आधी मात्रा आखरी जोताई के समय खेत में मिला देना चाहिए।

कितना बीज बोएं :

बैगन के लिए प्रति हेक्टेयर बीज 500 ग्राम तथा संकर प्रजातियों के लिए 150 से 200 ग्राम होना चाहिए। अच्छी उत्पादन के लिए चार ग्राम कैप्टान प्रति किलो बीज को डुबोया जाए। इसी तरह 2, 4डी के 5 पीपीएम के घोल में 24 घंटे बीज को भिगोकर रखने के बाद बोआई करें।

ऐसे करे पौधरोपण :

पौधे जब 4-5 सप्ताह के अर्थात 4-5 पत्तियों वाली हो जाए तो लंबी फल प्रजातियों को 60 गुना 60 सेमी की दूरी पर बोया जाए। जबकि गोल प्रजातियों को 75 गुना 75 सेमी की दूरी पर रोपा जाए।

बैंगन में प्रमुख कीट प्रबंधन कैसे करें :

1. फलछेदक : यह कीट बढ़ती हुई शाखाओं के शीर्ष भाग पर प्रकोप करते हैं, जिससे शाखाएं सूखने लगती है। इसकी रोकथाम के लिए फसल के शुरुआती दौर में ही डाय मेथोएट 30 ईसी एक लीटर प्रति हेक्टेयर या मोनोक्रोटोफास 750 मिली प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए।

2. लाल मकड़ी : यह कीट लाल रंग के होते हैं और कोमल पत्तियों को नीचे की ओर से अपनी चपेट में लेते हैं। ये कीट पत्तियों से रस चूसते हैं और पत्तियों का ऊपरी भाग तथा फल के हरे रंग पर कई छोटे छोटे चकते दिखाई देते हैं। इससे बचाव के लिए घुलनशील गंधक दो प्रतिशत अथवा 0.1 प्रतिशत कैलेक्सीन का छिडकाव 10-12 दिन के अंतराल में कम से कम दो बार करना चाहिए। छिड़काव पत्तियों के निचले हिस्से तक जरूर पहुंचनी चाहिए।

70 हेक्टेयर भूभाग में ले रहे बैगन की फसल

दंतेवाड़ा जिले में धान के बाद लोग साग-सब्जी उगाकर अतिरिक्त आमदनी पा रहे हैं। एक जानकारी के अनुसार जिले के करीब सभी किसान बाड़ी में बैगन और दीगर सब्जियां उगाते हैं। एक दर्जन से अधिक किसान बैगन की व्यवसायिक फसल लेना शुरू कर दिया है। इसका रकबा करीब 70 हेक्टेयर होगा। जहां से किसान एक सीजन में प्रति हेक्टेयर 250 से 300 क्विंटल बैगन स्थानीय बाजार में बेच लेते हैं। पिछले कुछ सालों से जिले के बिंजाम के किसान सोनाराम, बचेली में संजय मंडावी, भक्तूराम, मेंडोली के महेश कुमार, बालूद में शंभुनाथ, टेकनार में राजेश, मेहतर, मनबहाल, भोगाम में सदाराम व सुदरूराम तथा ग्राम केशापुर के राजूराम कर्मा बैंगन की फसल ले रहे हैं। इन्हें बैंगन से अतिरिक्त आय हो रही है।