Home News विश्व आदिवासी दिवस पर सियासत तेज।

विश्व आदिवासी दिवस पर सियासत तेज।

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छत्तीसगढ़ के जशपुर में विश्व आदिवासी दिवस का विरोध हिंदू आदिवासियों ने शुरू कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित “विश्व आदिवासी दिवस” को भारतीय जनजाति समाज को तोड़ने का वैश्विक षड्यंत्र बताते हुए अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच ने होने जा रहे इसके आयोजन पर रोक लगाए जाने की मांग की है. इसको लेकर छतीसगढ़ के राज्यपाल के नाम जशपुर कलेक्टर को आवेदन सौंपा गया है, जिसमें जशपुर में 9 अगस्त को आयोजित हो रहे विश्व आदिवासी दिवस को रोके जाने की मांग की गई है.अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच का कहना है कि पूर्व काल से ही इंग्लैण्ड द्वारा विश्व के अधिकतर देशों को अपना उपनिवेश बनाकर शासन किया गया. वहीं प्राकृतिक सम्पदा का दोहन कर उनका शोषण भी किया गया. इस अभियान की शुरुआत का विरोध अमेरिका समेत देशों में विरोध हुआ और ब्रिटेन कोपहाटन युद्ध में ब्रिटेन की सत्ता बिर्जिनिया प्रान्त में स्थापित होने के कारण वहां ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार करने का अवसर प्राप्त हुआ. वह दिन था 9 अगस्त जिसे यादगार बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मूल आदिवासी दिवस घोषित किया गया.

इसलिए कर रहे विरोध
जनजातीय सुरक्षा मंच, जशपुर के सचिव लालदेव भगत का कहना है कि भारत में इसे मूल आदिवसी दिवस के रुप में जाना जाता है. ये एक षड्यंत्र है. दरअसल भारत में मूल निवासियों को आदिवासी कहा जाता है अतः भारत में यह प्रचार किया गया कि विश्व आदिवासी दिवस के नाम से उत्सव मनाया जाए ताकि भारत के जनजातीय समाज के लोगों को शब्दों का भाव आसानी से समझ आ सके. कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन में बताया गया है कि देश के पूर्वोत्तर राज्यों में बड़ी संख्या में जनजाति समुदाय के लोगों को षड्यंत्र पूर्वक ईसाई धर्म में धर्मान्तरित कराया जा रहा है, जिससे उनके अपने ही जनजातीय समाज के बीच संघर्ष की स्थिति निर्मित हो गई है. 
ज्ञापन में उल्लेख है कि ईसाई समुदाय द्वारा चर्च में करमा उत्सव मनाना,पत्थरगढ़ी के माध्यम से जनजातीय समाज को तोडना और अपने समुदाय में शामिल करना एक षड्यंत्र है, जिसकी शुरुआत झारखण्ड,उडीसा,छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश में हो चुकी है. अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच ने 9 अगस्त के विश्व आदिवासी दिवस का विरोध करते हुए बहिष्कार किये जाने की चेतावनी दी है वहीं हिंदुस्तान की एकता, अखंडता व धार्मिक सहिष्णुता के साथ राष्ट्रवाद की रक्षा के लिए “विश्व आदिवासी दिवस” के आयोजन पर रोक लगाने की मांग की है.