इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधीनस्थ कृषि महाविद्यालय एवं अनुसन्धान केंद्र द्वारा ग्राम पालकी में उन्नत बियासी कृषि यन्त्र त्रिफाल का प्रदर्शन किया गया। अधिष्ठाता डॉ. रत्ना नशीने ने बताया की यह यन्त्र कृषि अभियांत्रिकी संकाय रायपुर ने प्रदर्शन के लिए प्रदाय किया है। धान के छिड़काव पद्धति से खेती में किसानों द्वारा धान के पौधे की ऊंचाई लगभग 14 से 15 सेंटीमीटर होने पर देशी हल से खरपतवार की निंदाई की जाती है। जिसे बियासी कहा जाता है। देशी हल से बियासी की प्रक्रिया में मानव एवं पशु श्रम, ऊर्जा के साथ समय अधिक लगता है। त्रिफाल हल से बियासी से पौधों को कम हानि होती है। यंत्र से दो कतारों के बीच दूरी को परिवर्तित किया जा सकता है। इससे समय, उऊर्जा, श्रम की बचत के साथ जड़ों को कम नुकसान होता है। इस हल का प्रदर्शन कृषक लश्मण सिंह दुग्गा और कृषक सिरदेह सिंह के खेतों में किया गया।