सुकमा जिले में समस्त आश्रम शालाओं में छात्रों की दर्ज संख्या में बढ़ोत्तरी की जा रही है परंतु आश्रम शालाओं में संसाधनों के अभाव के कारण आश्रम अधीक्षकों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसी कड़ी में विकासखण्ड छिंदगढ़ के बालक आश्रम शाला तोंगपाल के छात्र संसाधनों के अभाव में अध्ययन करने हेतु मजबूर हैं। इस आश्रम शाला में पूर्व में कुल 70 बच्चों की दर्ज संख्या थी, इस वर्ष में्र बच्चों की दर्ज संख्या 70 से बढ़ाकर 90 कर दी गई है परन्तु्र इनके सोने हेतु 35 पलंग की ही व्यवस्था है, इसमे से भी कुछ पलंग में गद्दे नहीं हैं। एक पलंग में तीन-तीन बच्चे सोने को मजबूर हैं। कुछ बड़े बच्चों ने बताया कि हम लोग अधीक्षक के साथ जमीन पर सोते हैं।
मलेरिया जोन होने के बावजूद नहीं है मच्छरदानी
विदित हो कि यह क्षेत्र मलेरिया जोन के अंतर्गत आता है व अक्सर आश्रम शालाओं, पोटाकेबिन के बच्चों के मलेरिया ग्रसित होने की खबरें आती रहती है बावजूद इसके इस आश्रम शाला में मच्छरदानियों की भारी कमी है साथ ही गद्दे, चादर का भी अभाव है। आश्रम शाला प्रांगण के अंदर ही एक जर्जर दो कमरे के भवन में पहली से पांचवी कक्षा के 90 बच्चे भेड़-बकरियों की तरह बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं। एक कमरे में पहली से तीसरी व दूसरे कमरे में चौथीं व पांचवी के बच्चों को एक साथ बिठा कर किस प्रकार की शिक्षा दी जा रही है इसका जवाब शायद शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास भी नहीं है।
एक शिक्षक के भरोसे पांच कक्षा के 90 बच्चे
इस आश्रम शाला में दो शिक्षक पदस्थ है एक अधीक्षकीय कार्य में व्यस्त रहते है व दूसरे एक शिक्षक के भरोसे ही 90 बच्चों का भविष्य टिका हुआ है, ऐसे इन बच्चों का भविष्य क्या होगा यह एक सोचनीय तथ्य है। इस आश्रम शाला में दर्ज संख्या तो बढ़ा दी गई परन्तु छात्रों के स्नान आदि के व्यवस्था की ओर कोई ध्यान नही दिया गया बच्चे बोर व नल के पास खुले में ही स्नान करने को मजबूर हैं।
आबंटन आ गया है हमने ऑर्डर भी दिया हुआ है तीन चार दिनों के अन्दर आश्रम शाला में गद्दे, पलंग, चादर, मच्छरदानियों की व्यवस्था कर दी जाएगी।