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उत्तराखंड : सात महीने ‘मौत’ से लड़कर जिंदगी की जंग हार गई ‘लक्ष्मी’, दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टर कर रहे थे इलाज

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वन विभाग के काफी प्रयास के बाद भी लक्ष्मी नाम की हथिनी की जान नहीं बचाई जा सकी। मंगलवार की रात करीब 12 बजे उसने दम तोड़ दिया। आमडंडा डिपो में पिछले सात महीनों से उसका मृत्यु से जीवन के लिए संघर्ष जारी था। हालांकि विभाग ने उसके इलाज में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। एक अनुमान के मुताबिक वन विभाग ने हथिनी के इलाज में 40 लाख रुपये खर्च किए। दक्षिण अफ्रीका से भी डॉक्टर बुलाए गए, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। 

इनफिनिटी रिजॉर्ट से अधिग्रहित की गई लक्ष्मी हथिनी को नौ अगस्त 2018 को आमडंडा डिपो में रखा गया था और यहीं पर उसकी देखरेख की जा रही थी। लक्ष्मी हथिनी के पैर में जनवरी में इंफेक्शन हो गया था। धीरे-धीरे बीमारी ने गंभीर रूप ले लिया।

हथिनी के उपचार के लिए वन विभाग ने दक्षिण अफ्रीका, जीबी पंतनगर यूनिवर्सिटी, एसओएस मथुरा से भी डॉक्टर बुलाए। हथिनी की मौत के बाद डीएफओ रामनगर वन प्रभाग भूपेंद्र प्रताप सिंह, कोसी रेंज के रेंजर बीपी पंत भी मौके पर पहुंचकर जानकारी ली।

उधर, इनफिनिटी रिजॉर्ट्स के प्रबंधन ने बयान जारी करके विभाग के ऊपर गलत तरीके से हिरासत में लेने और उसकी सही तरीके से देखभाल नहीं करने का आरोप लगाया गया है। 

डॉक्टरों की टीम ने जो भी दवाइयां बताई उसे तत्काल मंगाया गया। एसओएस मथुरा के डॉक्टर की ओर से लिखी गईं दवाइयां दिल्ली, देहरादून से भी मंगाई गई थी। दक्षिण अफ्रीका से आए डॉक्टर खुद ही दवाई लेकर आये थे और यहां पर भी उन्होंने जो दवाइयां लिखी उन्हें भी मंगाया था। विभाग की ओर से हथिनी के उपचार में कोई लापरवाही नहीं बरती गई थी।
-भूपेंद्र प्रताप सिंह, डीएफओ रामनगर वन प्रभाग