असम के बक्सा जिले में स्थित कटालीगांव में एक अनोखी शादी देखने को मिली, जहां लोग दूल्हा-दुल्हन को गिफ्ट करने के लिए पुरानी चीजें लेकर पहुंच गए। वहीं दूल्हा-दुल्हन ने मेहमानों को रिटर्न गिफ्ट में पौधे दिए। दरअसल भूपेन राभा और बबीता बोरो ने अपनी शादी के कार्ड पर एक ‘सर्विस टू मैनकाइंड’ का संदेश लिखा था। इसमें दूल्हे ने रिसेप्शन पर आने वाले मेहमानों से जरूरतमंद के लिए पुराने कपड़े और किताबें लाने का अनुरोध किया था। दूल्हे की इस गुजारिश के बाद सभी लोग इस नेक काम में योगदान देना चाहता था।
मुशालपुर के एक सरकारी कॉलेज में अंग्रेजी विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत राभा ने कहा, जब हम शादी की बात करते हैं, तो यह आमतौर पर लोगों, गिफ्ट और खाने के बारे में होता है। मैंने इसे एक अवसर का रूप देने के बारे में सोचा। मेरा मानना था कि इस शादी में करीब तीन हजार लोग शामिल होंगे, इसलिए मैंने निमंत्रण कार्ड में एक संदेश लिखा था। हमारे गांव के लोग इस काम को एक अच्छे उदाहरण के रूप में ले सकते हैं और फिर से इसे दोहरा सकते हैं। इस माध्यम से मैं जागरुकता संदेश का प्रसार करना चाहता था।
मुशालपुर में नंबर 2 कटालीगांव को बक्सा जिले के सबसे स्वच्छ गांव की मान्यता दी गई थी। गांव की हर सड़क पर दोनों तरफ बैनर लगे हैं, जिनमें पर्यावरण संरक्षण के महत्व और समाज के नियमों का पालन करने के बारे में कहा गया है। राभा ने बताया, हमारे पास तीन सोसायटी हैं और गांव को साफ रखने के लिए उनके बीच काम विभाजित किया गया है। सोसायटी के लोग हर तरह के काम करते हैं – सड़कों पर गोबर साफ करने से लेकर नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले किसी भी व्यक्ति पर नजर रखने तक का। हम आदिवासी हैं, फिर भी हम शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है। शराब का सेवन करने वाले किसी भी व्यक्ति को 10,000 रुपये का जुर्माना भरना पड़ता है।
उन्होंने इनमें से एक सोसायटी के साथ अपने विचार को साझा किया, हालांकि ग्रामीणों को इस तरह की पहल पर संदेह था, लेकिन वे मदद करने के लिए एकजुट हुए। तब राभा ने एक यूरोपीय दोस्त की मदद से अपने घर के बाहर बैनर लगाए। उनके दोस्त ने इसके पहले भी शादी के मेहमानों के लिए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया, जहां उन्होंने अपने गांव के गाड़ी खींचने वालों को कपड़े बांटे थे। शादी में एकत्र किए गए कपड़ों का बंडल अब इन सोसायटी द्वारा उन लोगों को बांटे जाएंगे और शादी में मिली हुई सारी किताबें ग्रामीणों के लिए एक ओपन लाइब्रेरी में रखी जाएंगी। राभा का मानना है कि गांव के लोगों को शिक्षा के लिए प्रेरित करना एक बड़ा कदम है।