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मतदान करने की सजा: बस्तर में वोट देकर लौट रहे ग्रामीणों को नक्सलियों ने पीटा!

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छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में बस्तर क्षेत्र में मतदान हुआ. 11 अप्रैल को हुए बस्तर मतदान के बाद बस्तर के इन ग्रामीणों को कहां मालूम था की उनको वोट देने की सजा मिलेगी. नक्सलियों ने वोट डालने वाले नक्सलियों से मारपीट की है. एक तरफ जहां बस्तर के लोगों ने लोकसभा चुनाव का हिस्सा बनकर बढ़-चढ़ कर अपने मताधिकार का प्रयोग किया. लेकिन लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेना एक गांव के ग्रामीणों को महंगा पड़ गया. वोट देकर लौटे रहे ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि नक्सलियों ने उनकी जमकर पिटाई की है. जब ग्रामीणों से मारपीट की वजह पूछी गई तो ग्रामीणों ने जवाब दिया कि उन्होने सड़क, बिजली और मोबाइल टावर के लिए वोट दिया, इसलिए नक्सलियों ने उनको मारा है.

मिली जानकारी के मुताबिक बस्तर जिले के मुंडागढ़ गांव में नक्सलियों ने मतदान के बाद कहर बरपाया. ग्रामीणों का कहना है कि नक्सलियों ने उनसे इस घटना की शिकायत किसी को भी नहीं करने का फरमान जारी किया है. डरे सहमे ग्रामीणों से जब बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने साफ तौर पर मना कर दिया लेकिन जैसे- तैसे ग्रामीणों को मनाकर उनसे बात की गई. ग्रामीणों ने बताया नक्सलियों ने मतदान के बाद ग्रामीण की जमकर पिटाई की है. वहीं 8 लोग को गांव छोड़ने की धमकी भी दी है. साथ ही नक्सलियों ने हर महीने दस हजार रुपए की ग्रामीणों से मांग की है.

नक्सलियों ने ग्रामीणों से खेती ना करने का फरमान भी जारी किया है और पैसे नहीं दिए जाने पर ट्रैक्टरों को आग के हवाले करने की चेतावनी भी दी है. नक्सलियों की इस कायरना हरकत से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. ग्रामीणों की मांग है कि गांव में कैंप और टावर लगाया जाए. ग्रामीणों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के पहले सीट के लिए 11 अप्रैल को चुनाव संपन्न कराया गया. नक्सलियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था. इसके बाद भी ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इससे बौखलाए नक्सलियों ने 15 अप्रैल को गांव पहुंचकर ग्रामीण को घर से निकाल कर जमकर पिटाई की और 8 लोगों को गांव छोड़ने का फरमान भी जारी किया. नक्सलियों के इस फरमान के बाद ग्रामीण गांव छोड़ने के लिए मजबूर है. वहीं इस घटना के बाद बस्तर पुलिस ने नामजद माओवादियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजय महादेवा का कहना है कि पीड़ित ग्रामीणों को गांव नहीं छोड़ने की समझाइश दी गई है.