Home News इंद्रावती नदी का आस्तित्व बचाना जरूरी : डॉ सतीश

इंद्रावती नदी का आस्तित्व बचाना जरूरी : डॉ सतीश

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जगदलपुर। बस्तर अंचल की जीवन दायिनी कही जाने वाली इंद्रावती नदी के आस्तित्व समाप्त होने की संभावना के मद्देनजर पर्यावरणविद डॉ सतीश ने आज कहा कि अगर समय रहते इसके आस्तित्व को बचाया नहीं जा सका, तो आने वाले दिनों में गंभीर जल संकट से गुजरना पड़ सकता है। डॉ. सतीश का कहना है कि बस्तर सीमा से सटे पड़ोसी राज्य ओडिशा में सीमा से मात्र 20 किलोमीटर दूर इंद्रावती की सहायक नदी तेलांगिरी में ओड़िशा शासन एक बांध का निर्माण करा रहा है। इसके अतिरिक्त बस्तर सीमा के पास ही भस्केल नदी में भी एक बैराज निर्मित करने की कोशिश चल रही है। इससे इंद्रावती में प्रवाहित होने वाले जल की मात्रा कम हो जायेगी और बस्तर की ओर बहने वाला जल और भी कम हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि इससे बस्तर में इंद्रावती अपने कम पानी के कारण सूख भी सकती है। इसे यदि समय रहते नहीं रोका गया तो आने वाले दिनों में बस्तर की प्राण दायिनी इंद्रावती लोगों की प्यास नहीं बुझा पायेगी। बताया गया है कि तेलांगिरी में बांध इंद्रावती-जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर से 15 किलोमीटर अपस्ट्रीम और खातीगुड़ा बांध के डाउनस्ट्रीम में बनाया जा रहा है। इससे न केवल चित्रकोट जलप्रपात का सौंदर्य हमेशा के लिए गायब हो सकता है, वरन बस्तर में इंद्रावती के अस्तित्व पर भी खतरा पैदा हो सकता है।

इस संबंध में सिंचाई अभियंताओं का मानना है कि तेलांगिरी में बांध बनने के बाद कंट्रोल स्ट्रक्चर तक अभी जो भी पानी इंद्रावती नदी में आ रहा है। उसका दस फीसदी पानी भी नहीं आ सकेगा। उस स्थिति में इंद्रावती में जलसंकट और अधिक गहराएगा। इसका सीधा प्रभाव बस्तर में भी इंद्रावती नदी में गैर मानसून काल में अधिक होगा। वहीं, जल संसाधन संभाग जगदलपुर के कार्यपालन यंत्री पी के राजपूत का कहना है कि तेलांगिरी में बांध बनाने से पानी की कमी होने की आशंका पर ओडिशा सरकार ने स्पष्ट किया है कि खातीगुड़ा बांध के नीचे इंद्रावती नदी का 2582 वर्ग किलोमीटर जलग्रहण क्षेत्र है, जिससे करीब 113 टीएमसी पानी का जलप्रवाह बनता है। इसमें से तेलांगिरी बांध में 2.62 टीएमसी पानी रोकने की बात कही जा रही है।