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Chhattisgarh: गांव में शांति के लिए शराब से बनाई दूरी

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शराब मुक्त प्रदेश का सपना अभी भले ही दूर की कौड़ी नजर आ रही हो, लेकिन आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले में इसकी शुरूआत हो चुकी है। जिले के मनोरा तहसील में स्थित ग्राम पंडरसीली के ग्रामीणों ने अपने गांव की सीमा में इसे साकार करके दिखा दिया है। इस गांव में ना तो शराब बनाया जाता है और ना बेचा जाता है। शराब से इस गांव को मुक्ति दिलाने के लिए ग्रामीणों ने ना कोई आंदोलन चलाया और ना ही किसी पर जुर्माना लगाया।

बस,गांव को शराबमुक्त करने का सामूहिक निर्णय लिया और गांव में पसरी पीढ़ियों से यह बुराई देखते ही देखते हमेशा के लिए समाप्त हो गई। घने पहाड़ियों से घिरे पंडरसीली गांव की आबादी तकरीबन डेढ हजार है। सांसद आदर्श इस गांव में पहाड़ी कोरवा और उरांव जनजातिय लोगों की बहुलता है। यहां के निवासी बिफनाथ राम ने बताया कि गांव में शराब की वजह से सामाजिक और पारिवारीक महौल लगातार खराब हो रहा था। घरेलू कलह और ग्रामीणों के बीच होने वाले आपसी विवाद से लोग परेशान थे। ऐसे में तकरीबन 2 साल पहले एक दिन ग्रामीणों ने एकजुट हो कर गांव में शराब ना बनाने के लिए पहल किया। गांव के अखरा 1सभा स्थल1 पर एकजुट हुए।

गांव की स्थिति सुधारने और बच्चों को शराब से दूर रखने की बात कहते हुए शराब बंदी का प्रस्ताव रखा गया। यह प्रस्ताव गांव के सभी जातिय व समुदाय के लोगों ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। यहां के निवासी फगुआ राम ने बताया कि पंडरसीली में महुआ से बनने वाले देशी शराब के साथ चावल से बनाया जाने वाला शराब,जिसे स्थानीय बोली में हड़िया कहा जाता है,के बनाए जाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। गांव मे लिए गए इस बैठक के बाद से अब कोई शराब नहीं बनाता है।

हां, आसपास के दूसरे गांवों से इक्का-दुक्का ग्रामीण शराब पी कर आते हैं। लेकिन गांव की सीमा के अंदर ना तो शराब बनाई जा रही है और ना ही बेची जा रही है। युवा विरेन्द्र राम और अनिल तिग्गा ने बताया कि शराब बंदी होने से गांव के महौल में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। कभी शराब के नशे में धुत्त हो कर दिन भर झगड़ने वाले ग्रामीण के बीच सामाजंस्य देखते ही बनता है।

आदर्श गांव की बदलने लगी तस्वीर

विकास की मुख्यधारा से इस गांव को जोड़ने के लिए क्षेत्र के सांसद और केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री विष्णुदेव साय ने इस गांव को तकरीबन डेढ़ साल पूर्व सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया था। योजना से जुड़ने से इस गांव की तस्वीर तेजी से बदलने लगी है। गांव के रवित राम ने बताया कि आदर्श ग्राम बनने से पहले उन्हें सबसे अधिक समस्या पीने की पानी के लिए होती थी। गांव में पानी के लिए कुंआ ही एकमात्र स्त्रोत हुआ करता था। लेकिन योजना के तहत सौर ऊर्जा चलित पंप और हैंड पंप स्थापित हो जाने से उन्हें खेत के डोढ़ी का पानी पीने से मुक्ति मिल गई है। यहां के ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, सिंचाई योजना सहित सभी शासकीय योजनाओं का लाभ मिल रहा है।

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