कॉम्बिंग ऑपरेशन में एमपी-सीजी सीमा पर पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ अभी भी जारी है। यह ऑपरेशन छत्तीसगढ़ की पुलिस, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की पुलिस की तरफ से संयुक्त रूप से माओवादियों के खिलाफ शुरू किया गया है।
राजनांदगाव: जिले के डोंगरगढ़ से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। यहाँ के अस्पताल में दाखिल मध्यप्रदेश पुलिस के एक सब इन्स्पेक्टर शहीद हो गए है। शहीद पुलिस अफसर आशीष शर्मा मध्यप्रदेश पुलिस (बालाघाट) में तैनात थे और एमपी-छत्तीसगढ़ बॉर्डर में जारी नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में शामिल थे। आज सुबह ही उनके गले में गोली लगी थी, जिसके बाद उन्हें डोंगरगढ़ के अस्पताल में दाखिल कराया गया था। हालांकि उपचार के दौरान वह शहीद हो गए।
वही दूसरी तरफ एक कॉम्बिंग ऑपरेशन में एमपी-सीजी सीमा पर पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ अभी भी जारी है। यह ऑपरेशन छत्तीसगढ़ की पुलिस, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की पुलिस की तरफ से संयुक्त रूप से माओवादियों के खिलाफ शुरू किया गया है।
एक तरफ जहां एमपी-सीजी बॉर्डर में मुठभेड़ जारी है तो दूसरी ओर आंध्र प्रदेश की पुलिस ने करीब 50 संदिग्ध माओवादियों को हिरासत में लिया है। इन माओवादियों के पास से पुलिस और सुरक्षाबलों ने बड़े पैमाने पर हथियार और बारूद भी जब्त किये है। पुलिस के मुताबिक़ उन्होंने यह अभियान 17 नवम्बर को शुरु किया था। जंगलों में बड़ी संख्या में पुलिस की टुकड़ी भेजी गई थी।
इस बीच आंध्र-सीजी सीमा से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। जानकारी के मुताबिक़ कल छत्तीसगढ़ -तेलंगाना बॉर्डर पर जिस जगह माड़वी हिड़मा और उसकी बीवी राजे समेत 6 नक्सलियों को ढेर किया गया था, वही आज फिर एक बड़ी मुठभेड़ हुई है। इस ताजा एनकाउंटर में एक बार फिर से पुलिस और सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिलने की खबर है। बताया जा रहा है कि, इस एनकाउंटर में 7 नक्सलियों को ढेर किया गया है, इनमें नक्सलियों का बड़ा लीडर और जोगा उर्फ़ टेक शंकर को भी मार गिराया गया है। बताया जा रहा है कि, मारे गये 7 नक्सलियों में 4 पुरुष, 3 महिला माओवादी शामिल है। मुठभेड़ के बाद सर्चिंग में पुलिस के हाथ 2 एके-47 समेत 8 हथियार भी लगे है। कल ही आंध्र की पुलिस ने हिड़मा को भी इसी जगह पर मार गिराया था।
माओवादी कमांडर माड़वी हिडमा का जन्म 1981 में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पुरवती में हुआ था। वह पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन नंबर 1 के प्रमुख थे, जिसे माओवादियों की सबसे घातक स्ट्राइक यूनिट माना जाता है। हिडमा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय समिति के सबसे कम उम्र के सदस्य थे और बस्तर क्षेत्र के एकमात्र आदिवासी थे जिन्हें यह पद मिला था। उनके सिर पर ₹50 लाख का इनाम रखा गया है।
हिडमा कम से कम 26 घातक हमलों के लिए ज़िम्मेदार है, जिनमें 2017 का सुकमा हमला और 2013 का झीरम घाटी नरसंहार शामिल है, जिसमें छत्तीसगढ़ के प्रमुख कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोग मारे गए थे। वह 2010 के दंतेवाड़ा हमले में भी शामिल था , जिसमें 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे, और 2021 के सुकमा-बीजापुर मुठभेड़ में भी शामिल था, जिसमें 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे।
20 महीनों में 2200 से ज्यादा नक्सली मुख्यधारा में लौटे
इससे पहले आईजी सुंदरराज ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त बनाने का उनका लक्ष्य पूरा हो जाएगा और पिछले 20 महीनों में 2200 से अधिक नक्सली मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं।
एएनआई से बात करते हुए, पी सुंदरराज ने कहा, “पिछले कुछ दशकों से वामपंथी उग्रवाद न केवल बस्तर और छत्तीसगढ़ के लिए, बल्कि देश के बड़े हिस्से के लिए एक बड़ी सुरक्षा चुनौती रहा है। पिछले कुछ साल बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों के लिए बहुत निर्णायक रहे हैं। पिछले दो सत्रों में, हमने बस्तर क्षेत्र में 450 से अधिक नक्सली शव बरामद किए हैं। इस अवधि में, बसवराजू और अन्य जैसे शीर्ष नक्सली कैडरों के शव बरामद किए गए। पिछले कुछ महीनों में, केंद्रीय समिति और पोलित ब्यूरो के सदस्यों और अन्य संभागीय समिति के सदस्यों सहित 300 से अधिक माओवादी कैडरों ने हिंसा छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया है।”



