चरमपंथी हिंसा और आतंकवादी हमलों के मामलों में NCRB यानी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों ने राहत दी है। ताजा स्थिति से पता चलता है कि साल 2022 की तुलना में 2023 में चरमपंथ, विद्रोह और आतंकवादी हिंसा के मामलों में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
हालांकि, एक ओर जहां आम नागरिकों की मौत की संख्या कम हुई है। वहीं, जान गंवाने वाले पुलिस और सैन्य कर्मियों की संख्या में इजाफा दर्ज किया गया है।
आंकड़े बताते हैं कि साल 2022 में चरमपंथ, विद्रोह और आतंकवादी हिंसा के 446 मामले सामने आए थे, जो 2023 में घटकर 163 पर आ गए हैं। इनमें वामपंथी उग्रवाद, जिहादी आतंकवाद, पूर्वोत्तर में विद्रोह समेत कई क्षेत्र शामिल हैं। 2022 में जिहादी आतंकवादी घटनाओं के 126 केस थे, जो 2023 में घटकर 15 पर रह गए हैं। पूर्वोत्तर में विद्रोह के मामले 2023 में 10 पर हैं। जबकि, 2022 में यह संख्या 26 थी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022 की तुलना में पूर्वोत्तर में विद्रोह के मामले 2023 में 61 प्रतिशत कम हुए, जिहादी आतंकवादी घटनाएं 87 फीसदी, वामपंथ चरमपंथ हिंसा के मामले 44 फीसदी से ज्यादा घटे। खास बात है कि साल 2023 में 318 सरेंडर के मामले सामने आए। जबकि, 2022 में यह संख्या 417 पर थी। इस लिहाज से कुल 23 फीसदी की गिरावट देखी गई है।
इस दौरान चरमपंथियों की तरफ से हथियार लूटे जाने के आंकड़ों में इजाफा देखा गया है। आंकड़े बता रहे हैं कि 2023 में चरमपंथियों ने 706 हथियार और 19 हजार 946 कारतूस हासिल कर लिए थे, जो 2022 में सिर्फ 36 हथियार और 99 कारतूस थे।
पूर्वोत्तर में सबसे अधिक हिंसक अपराध और दंगे मणिपुर में हुए वर्ष 2023 में पूर्वोत्तर में सबसे अधिक हिंसक अपराध और दंगे के मामले मणिपुर में दर्ज किए गए। NCRB की रिपोर्ट के अनुसार मणिपुर में मई 2023 से इंफाल घाटी में रहने वाले मेइती और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी कुकी के बीच जातीय संघर्ष देखा गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर में उस वर्ष भारत में अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराध/अत्याचार की सबसे अधिक संख्या भी दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर में 2023 में 14,427 हिंसक अपराध दर्ज किए गए, जबकि 2022 में यह संख्या 631 और 2021 में 545 थी। पूर्वोत्तर में मणिपुर के बाद असम दूसरे स्थान पर रहा, जहां 2023 में ऐसी 11,552 घटनाएं दर्ज की गईं।
जम्मू-कश्मीर में 2021 और 2023 के बीच आपराधिक मामलों में कमी आई है और इस अवधि के दौरान 2,080 मामलों की गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और विशेष एवं स्थानीय कानूनों (एसएलएल) के तहत दर्ज अपराधों समेत समग्र अपराध आंकड़ों में कमी देखी गई तथा आपराधिक मामले 2021 के 31,675 से घटकर 2022 में 30,197 और 2023 में 29,595 रह गए। आंकड़ों के अनुसार 2021 से 2023 तक आपराधिक मामलों में 2,080 की गिरावट आई है।