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“अनुसूचित जनजाति, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ कितना बढ़ा अपराध? NCRB की रिपोर्ट में खुलासा”

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भारत में अनुसूचित जनजाति (ST) के खिलाफ अपराध के मामलों में बड़ा इजाफा दर्ज किया गया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के ताजा आंकड़ों के अनुसार 2023 में अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध के मामलों में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

समान अवधि में देश में आपराधिक गतिविधियों में 2022 की तुलना में 7.2 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया है। वहीं, बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले भी करीब 9 प्रतिशत बढ़े हैं।

NCRB के डेटा के अनुसार, अनुसूचित जनजाति के खिलाफ 2023 में प्रति लाख आबादी पर 448.3 अपराध दर्ज किए गए थे, जो 2022 में 422.2 थे। वहीं, 2022 में अनुसूचित जनजाति के खिलाफ साइबर अपराध के 65,893 मामले सामने आए थे, जो 2023 में बढ़कर 86,420 हो गए।

आत्महत्या के मामले भी बढ़े

2023 में डेढ़ लाख से अधिक लोगों ने आत्महत्या की। NCRB के डेटा के अनुसार, 1,71,418 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए, जिसमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 22,687 लोगों ने सुसाइड कर ली। 31.9 प्रतिशत लोगों ने पारिवारिक समस्याओं के कारण जान दे दी। वहीं 19 प्रतिशत लोगों की आत्महत्या की वजह गंभीर बीमारी थी।

9.2 प्रतिशत बच्चों के खिलाफ बढ़े अपराध के मामले

NCRB के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 1,62,449 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2023 में बढ़कर 1,77,335 हो गए। इनमें 45 प्रतिशत अपहरण और 38.2 प्रतिशत पॉक्सो अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। बच्चों के खिलाफ सबसे अधिक आपराधिक मामले मध्य प्रदेश से सामने आए हैं। इस लिस्ट में महाराष्ट्र दूसरे और उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है।

महिलाओं के खिलाफ बढ़े अपराध

महिलाओं के खिलाफ दर्ज हुए आपराधिक मामले में भी उछाल देखने को मिला है। 2023 में महिलाओं के खिलाफ 4,48,211 मामले दर्ज हुए, जो 2022 में 4,45,256 थे। इनमें सबसे ज्यादा अपराध के मामले 66,381 उत्तर प्रदेश से सामने आए हैं। इसके बाद महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश भी टॉप 5 लिस्ट में शामिल हैं।

अन्य आपराधिक मामले

खेती से जुड़े लोगों के आत्महत्या के मामले भी सामने आए हैं। 2023 में 10,700 खेती से जुड़े लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें 4690 किसान थे और 6,096 खेतों में काम करने वाले श्रमिक थे।

संपत्ति और आर्थिक अपराध के भी कई मामले दर्ज हुए हैं। 2.04 लाख मामले आर्थिक अपराध के हैं और 8,78,307 मामले संपत्ति से जुड़े अपराध के हैं। 2023 में 6,917 करोड़ रुपये की संपत्ति चोरी के मामले दर्ज हुए थे, जिनमें से सिर्फ 2,065 करोड़ रुपये की संपत्ति की बरामद की गई है।