छत्तीसगढ़ के रायपुर प्रदेश में स्वाइन फ्लू से इस बार राहत है। स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले मरीज आ तो रहे हैं, लेकिन स्वाब की जांच में रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि सर्दी, खांसी, बुखार, गले में खराश के साथ सांस लेने में तकलीफ है तो जांच करवा सकते हैं।
क्योंकि राजधानी में अभी किसी मरीज की पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि जांजगीर-चांपा जिले में एक मरीज की मौत स्वाइन फ्लू से हुई है। पिछले साल इस सीजन में 80 से ज्यादा मरीज मिले थे। ये मरीज रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव के थे। यही नहीं 6 मरीजों की मौत भी हुई थी। इनमें 4 की मौत बिलासपुर व दो की राजनांदगांव में हुई थी।
इन दिनों आंबेडकर अस्पताल, जिला व निजी अस्पतालों में लक्षण वाले मरीज आ रहे हैं। ऐसे मरीज जिन्हें 10 दिनों से ज्यादा खांसी, बुखार व सांस लेने में तकलीफ है, उनकी जांच करवाई जा रही है। रिपोर्ट निगेटिव आने से भी डॉक्टरों ने राहत की सांस ली है। डॉक्टरों के अनुसार पिछले साल उन्हीं मरीजों की मौत हुई थी, जिनकी बीमारी की जांच देरी से हुई। इसलिए इलाज में भी देरी हुई।
रिपोर्ट आने के पहले लक्षण के अनुसार मरीजों का इलाज किया जाता है। रिपोर्ट कंफर्म होने के बाद कुछ गाइडलाइन बदल जाती है। मरीजों को टैमी फ्लू टेबलेट देकर इलाज किया जाता है। हालांकि बड़े निजी अस्पताल एक्मो मशीन में रखकर मरीज का इलाज करते हैं। एक अस्पताल ने इस मशीन में रखकर इलाज के लिए 56 लाख का इस्टीमेट मरीज को दे दिया था।
एचओडी रेस्पिरेटरी मेडिसिन आंबेडकर अस्पताल डॉ. आरके पंडा ने कहा की अभी सीजनल सर्दी, खांसी व वायरल फीवर का समय है। स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले मरीज तो आ रहे हैं, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आने से राहत है। जिन्हें पहले से दूसरी बीमारियां है, उन्हें रिस्क हो सकता है, ङ्क्षचता की बात नहीं है। भीड़ में जाएं तो मॉस्क लगाना अच्छा विकल्प है। इससे न धूल व प्रदूषण से भी बचाव होगा।
इस सीजन में फ्लू के मरीज काफी संख्या में आ रहे हैं। वायरल फीवर, सर्दी-खांसी व सांस में तकलीफ वाले भी मरीज आ रहे हैं। ऐसे मरीजों को ऐहतियातन स्वाइन फ्लू की जांच कराने के लिए कह रहे हैं। राहत की बात है कि ऐसे लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। इस सीजन में अस्पताल में स्वाइन फ्लू का कोई मरीज सामने नहीं आया।
स्वाइन फ्लू चूंकि हवा से फैलने वाली बीमारी है, इसलिए मरीजों को भर्ती करने के लिए आइसोलेशन वार्ड की जरूरत पड़ती है। इलाज करने वाले डॉक्टरों को एन-95 मॉस्क लगाना पड़ता है। साथ ही अटेंडेंट साथ में नहीं रह सकता। नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ को भी पर्याप्त सावधानी बरतनी पड़ती है। देखा गया है कि मरीज के संपर्क में रहने वाले परिजन या अस्पताल के स्टाफ भी पॉजिटिव आते रहे हैं।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
- बुखार आना
- मांसपेशियों में दर्द
- ठंड लगना और पसीना आना
- खांसी आना
- गले में खराश
- नाक बहना
- शरीर में दर्द
- सिर में दर्द होना
- थकान व कमजोरी