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सरकार लेने जा रही 6.77 लाख करोड़ रुपये कर्ज, कौन देगा इतना पैसा और कहां होगा खर्च, आम आदमी पर क्‍या असर

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केंद्र सरकार ने वित्तवर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही में 6.77 लाख करोड़ रुपये बाजार से उधार लेने की योजना बनाई है. इससे चालू वित्तवर्ष के लिए कुल उधारी का अनुमान 10,000 करोड़ रुपये कम हो गया है. वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि बजट 2025-26 में सरकार ने 14.82 लाख करोड़ रुपये की कुल उधारी का अनुमान जताया था. अब सवाल ये है कि सरकार इतनी मोटी रकम कहां से जुटाएगी और इन पैसों को किस पर खर्च किया जाएगा.
वित्तवर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में सरकार की उधारी 5,000 करोड़ रुपये कम हुई. इसके अलावा दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) के अनुमान में भी 5,000 करोड़ रुपये की कटौती कर दी गई है. इस तरह देखा जाए तो पूरे वित्‍तवर्ष में उधारी में 10 हजार करोड़ रुपये की कमी आएगी. अब चालू वित्तवर्ष के लिए कुल उधारी 14.72 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो बजट अनुमान से 10,000 करोड़ रुपये कम होगा.

सरकार कहां से जुटाएगी इतना पैसा
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि दूसरी छमाही के लिए 6.77 लाख करोड़ रुपये की उधारी में से 10,000 करोड़ रुपये सरकारी हरित बॉन्ड के जरिये जुटाने की योजना है. पहली छमाही में सरकार ने 8 लाख करोड़ रुपये उधार लेने की योजना बनाई थी, जिसमें से 7.95 लाख करोड़ रुपये ही उधार लिए गए. सरकार दूसरी छमाही में उधारी की योजना को 22 साप्ताहिक नीलामी के माध्यम से छह मार्च 2026 तक पूरा करेगी.

राजकोषीय घाटा कितना होगा
आर्थिक मामलों की सचिव अनुराधा ठाकुर ने कहा कि कुल सकल उधारी अब 14.72 लाख करोड़ रुपये है, जो प्रारंभिक अनुमान से थोड़ा कम है. उन्होंने कहा कि मैं यह बात फिर कहूंगी कि सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के प्रति प्रतिबद्ध है. सरकार का लक्ष्य वित्तवर्ष 2025-26 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.4 प्रतिशत तक लाना है, जो वित्त वर्ष 2024-25 में 4.8 प्रतिशत था.
आम आदमी पर क्‍या असर
सरकार जरूरी खर्चे पूरे करने और इन्‍फ्रा योजनाओं को फंडिंग देने के लिए हर साल बाजार से बॉन्‍ड के जरिये मोटा कर्ज उठाती है. देश पर 31 मार्च, 2025 तक करीब 181 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लदा हुआ है, जो देश की जीडीपी का 56 फीसदी है. इस कर्ज में केंद्र सरकार और राज्‍यों का भी लोन शामिल है. इसके अलावा भारत पर विदेशी कर्ज भी लदा है, जो पिछले एक साल में 10 फीसदी बढ़कर करीब 61 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है. देश पर कर्ज लदने से हर व्‍यक्ति पर भी देनदारी बढ़ जाती है.

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