ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ने यात्री वाहनों के लिए नए ‘कॉरपोरेट औसत ईंधन दक्षता-3’ (कैफे-3) मानक प्रस्तावित किए हैं, जो वाहन कंपनियों को साझा प्रयास करने, छोटी कारों को छूट देने और फ्लेक्स-ईंधन, हाइब्रिड एवं इलेक्ट्रिक मॉडलों को भी शामिल करने की सुविधा देता है. बीईई का कहना है कि वाहनों की ईंधन दक्षता बढ़ाने के नए मानक एक अप्रैल, 2027 से 31 मार्च, 2032 तक लागू होंगे. देश में फिलहाल कैफे-2 मानक लागू हैं, जिन्हें कैफे 3 से बदला जाएगा.
प्रस्तावित कैफे-3 नियमों के तहत साल भर में औसत ईंधन खपत के मानक को पूरा करने के लिए अधिकतम तीन वाहन विनिर्माता आपस में मिलकर एक ‘पूल’ भी बना सकते हैं. इस स्थिति में पूल को एक ही वाहन विनिर्माता माना जाएगा. हालांकि एक वाहन विनिर्माता केवल एक पूल में ही शामिल हो सकता है. पूल के ‘पूल प्रबंधक’ के रूप में नामित विनिर्माता पूल के संपर्क बिंदु के रूप में काम करेगा. वही ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत लगाए गए किसी भी जुर्माने का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होगा.
क्या है इस मानक में खास
नए मानक फ्लेक्स-ईंधन वाहन (एथनॉल मिश्रित पेट्रोल से चलने वाले) और इलेक्ट्रिक वाहन को भी कैफे-3 मानकों के दायरे में शामिल करते हैं. इन्हें कॉरपोरेट औसत ईंधन खपत मानक 2027-32 (कैफे 2027) कहा जाएगा. बीईई ने प्रस्तावित नियमों पर 21 दिनों के भीतर संबंधित पक्षों से टिप्पणियां आमंत्रित की हैं. नए नियमों से वाहन विनिर्माता अपनी कारों में ईंधन बचत को बढ़ाने, इलेक्ट्रिक एवं हाइब्रिड कारों को बढ़ावा देने और पर्यावरण को फायदा पहुंचाने के लिए जरूरी बदलाव कर सकेंगे.
अभी चल रहा बीएस 6 मानक
सरकार ने साल 2020 से वाहनों के इंजन से उत्सर्जन को कम करने के लिए बीएस-6 मानक लागू किए हैं. इसका मकसद वाहनों से प्रदूषण को कम करना है. वर्तमान में सभी वाहन विनिर्माता कंपनियां बीएस 6 मानक वाली गाडि़यां ही बनाती हैं. बीएस-6 के तहत पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों में उत्सर्जन को कम करने के लिए जरूरी बदलाव किए गए हैं. संभावना है कि आगे सरकार बीएस-7 मानक भी लागू करेगी.
वाहन के साथ ईंधन में भी बदलाव
सरकार की तैयारी वाहनों के इंजन में जरूरी बदलाव करने के साथ ही ईंधन को भी अपग्रेड करना है. इसके लिए पेट्रोल में एथनॉल मिलाया जा रहा है. फिलहाल सभी पेट्रोल पंप पर 10 फीसदी एथनॉल वाला पेट्रोल मिल रहा है, जिसे जल्द ही बढ़ाकर 20 फीसदी किए जाने की संभावना है. सरकार का मानना है कि इससे वाहनों की क्षमता में तो विस्तार होगा ही, साथ ही देश का अरबों डॉलर क्रूड आयात के रूप में भी बचाया जा सकेगा.