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जानें क्या है मेटाडेटा, जिसे खंगालने पर मिले विदेशी लिंक, शक के घेरे में राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी?

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आरोप है कि चुनाव आयोग पर तीखे हमले के लिए राहुल गांधी द्वारा अपनी विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाए गए “वोट चोरी” वाले पीडीएफ म्यांमार में बनाए गए थे। इसका खुलासा सबसे पहले खरपेंच नामक एक्स अकाउंट ने किया।

इस अकाउंट ने कांग्रेस नेता की पीसी की वीडियो का एक स्क्रीन शॉट को पोस्ट करते हुए लिखा, ‘7 अगस्त,2025 को विपक्ष के नेता माननीय राहुल गांधी जी द्वारा वोट चोरी पर एक प्रेस कॉन्फ्रेस की गई, जो कि पूरे देश में चर्चा का विषय बनी, जिसमें देश के बड़े बड़े सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर्स ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। लेकिन जब खुरपेंच टीम ने इसकी तहक़ीक़ात की तो हमें म्यांमार के ट्रेस मिले जो कि बहुत हैरान करने वाला है।’

इसी प्रकार इस अकांट से खुलासे के रूप में और भी ट्वीट किए गए।

वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी इस मुद्दे को लेकर हमलावर है। उसने गुरुवार को विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस पर नए आरोप लगाते हुए दावा किया कि चुनाव आयोग पर हमला तेज करने के लिए गांधी द्वारा अपनी विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिखाए गए “वोट चोरी” पीडीएफ म्यांमार में बनाए गए थे।

वहीं, इस खुलासे से कॉन्ग्रेस खेमे में हलचल मच गई। आरोपों का जवाब देने के लिए कॉन्ग्रेस की आईटी सेल के ट्रोल और समर्थक एक्स पर सक्रिय हो गए। खुरपेंच के दावों को कॉन्ग्रेस नेता और समर्थक नकारने में लग गए। गुरुवारको कॉन्ग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने राहुल गाँधी की सफाई में चैट जीपीटी की मदद लेने की कोशिश की, लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं हुआ।

उन्होंने दावा किया कि टाइमजोन में गड़बड़ी किसी सॉफ्टवेयर कॉन्फ़िगरेशन की समस्या या फिर एडोबी बग के कारण हुई है। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “यह एक घंटे का फर्क किसी स्थान परिवर्तन का सबूत नहीं है, बल्कि यह आम तकनीकी गड़बड़ी है। एडोबी प्रोडक्ट्स में अक्सर टाइमस्टैम्प से जुड़ी ऐसी दिक्कतें आती हैं, जहाँ मेटाडाटा फील्ड्स में ऑफसेट मेल नहीं खाता।”

क्या है मेटाडाटा? मेटाडाटा को ‘डेटा के बारे में डेटा’ कहा जाता है। यह एक महत्वपूर्ण संदर्भ परत है, जो रॉ डाटा को मीनिंगफूल ढाँचे में लाता है और उसको इस्तेमाल करने लायक बनाता है। मेटाडाटा डेटा और उसके इस्तेमाल के बीच पुल का काम करता है, ताकि ये यूजर और सिस्टम दोनों जानकारी को सही तरीके से समझ सके और उपयोग कर सके। चाहे किसी दस्तावेज के लेखक की पहचान करनी हो, डेटाबेस के फ़ील्ड की संरचना तय करनी हो या किसी फोटो में स्थान से जुड़ा टैग जोड़ना हो, मेटाडाटा वह ढाँचा देता है जो बिखरे हुए डेटा को उपयोगी जानकारी में बदल देता है।

इसमें राहुल की थोड़ी भी गलती नहीं है, उसे तो सैम अंकल जो झुनझुना पकड़ा देते है वहीं झुनझुना बजाता रहता है, अभी वोट चोरी का झुनझुना बजा रहा है।

ये नमूना, नया नया शिगूफा लाता है मोदी को बदनाम करने के लिए और चमचे इसके सुर में सुर मिलाते हैं लेकिन जैसे ही फैक्ट चेक होता है तो चमचे चाटने लगते है और राहु विदेश भाग जाता है। जिस चू 333 ये को यकीन न हो वो राहु का विदेशी दौरे का ब्यौरा खंगाल ले।