जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में ‘अंतरात्मा की आवाज पर वोट दें’ वाली अपील इंडी गठबंधन पर उल्टी पड़ गई. गठबंधन को उम्मीद थी कि इस अपील से गठबंधन के असंतुष्ट सहयोगियों के वोट उसे मिल जाएंगे लेकिन जैसा उसने सोचा था, हुआ इसके एकदम उलट.
एनडीए ने चतुराई से इंडी गठबंधन के कुछ सांसदों को अपने पाले में मिला लिया, जिससे विपक्ष के वोट घट गए और बड़े अंतर के साथ जीत हासिल कर एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन देश के नए उपराष्ट्रपति बन गए.
खडगे-राहुल ने की ‘अंतरात्मा’ की आवाज सुनने की अपील इंडी गठबंधन ने उपराष्ट्रपति चुनाव जस्टिस (रिटायर) बी सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार घोषित किया था. गठबंधन के नेताओं, खासकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान जोरदार अपील की कि सांसद ‘अपनी अंतरात्मा की आवाज’ सुनें. उनके ऐसा कहने के पीछे एनडीए गठबंधन की उन पार्टियों को टारगेट करना था, जो एनडीए उम्मीदवार के आरएसएस लिंक पर कथित तौर पर असहज महसूस कर रही थी.
‘अंतरात्मा कहे तो वोट दें, न कहे तो वोट न दें’ खड़गे ने कहा, ‘यह चुनाव लोकतंत्र की रक्षा का है. अंतरात्मा कहे तो वोट दें, न कहे तो वोट न दें. अपने मन में व्हिप का डर न पालें.’ राहुल गांधी ने भी सोशल मीडिया पर ऐसी ही पोस्ट कर लिखा, ‘अंतरात्मा की पुकार सुनो, देश को बचाओ.’ यह अपील शुरू में विपक्षी एकता की प्रतीक नजर आई लेकिन जल्द ही यह रणनीति बूमरैंग कर गई.
करियर को नुकसान देख पीछे हटे सांसद खड़गे-राहुल की ‘अंतरात्मा’ वाली अपील से कई एनडीए सांसद झिझक गए. उन्हें लगा कि यह अपील उन्हें ‘बगावत’ के लिए उकसा रही है और ऐसा करने पर उनका राजनीतिक करियर खतरे में पड़ सकता है. वहीं इस अपील से इंडी गठबंधन के कई सांसद कंफ्यूज हो गए. उन्हें लगा कि यह उन्हें अपनी पसंद से वोट देने का अधिकार दिया गया है.
वायरल वीडियो ने पहुंचाया बड़ा नुकसान इस अपील के बैकफायर का पहला संकेत तब मिला, जब 7 सितंबर को एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें इंडी गठबंधन के एक सांसद कह रहे थे कि अंतरात्मा कह रही है कि राधाकृष्णन जैसे सौम्य व्यक्ति को मौका दो. रेड्डी तो सिर्फ नाम के लिए हैं. यह कथित वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिससे गठबंधन में पैनिक फैल गया. कांग्रेस ने इस पर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की, लेकिन देर हो चुकी थी.
बीजेपी ने ऐसे बिठाई चुनाव की फील्डिंग! संसद में जब आज सुबह वोटिंग शुरु हुई तो दोपहर तक स्पष्ट हो गया ता कि इंडी गठबंधन की यह अपील उल्टी पड़ चुकी है. संसद भवन में वोटिंग के दौरान इंडी गठबंधन के कम से कम 15 सांसदों ने रेड्डी के बजाय राधाकृष्णन को वोट दिया. एनडीए ने विपक्षी खेमे में ‘सेंध’ लगाने के लिए कई स्तरों पर काम किया. इसके लिए सीक्रेट मीटिंग्स और लॉबिंग की गई. बिहार में नीतीश कुमार ने आरजेडी के असंतुष्ट सांसदों को मनाया, जबकि पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने टीएमसी के असंतुष्टों से संपर्क साधा.
‘क्षेत्रीय गौरव’ के नाम पर सांसदों को लुभाया राधाकृष्णन तमिलनाडु के गौंडर समुदाय से हैं, जो दक्षिण भारत में प्रभावशाली है. एनडीए ने इसे भी तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में ‘क्षेत्रीय गौरव’ के नाम पर भुनाया. झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार की कमजोरी का फायदा उठाकर असंतुष्ट सांसदों का समर्थन लिया गया. इन सबका मिला-जुला परिणाम रहा कि एनडीए आज विपक्षी खेमे में सेंध लगाकर बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रहा.