छत्तीसगढ़ कैबिनेट विस्तार पर उठा विवाद, हाई कोर्ट में 14वें मंत्री की नियुक्ति पर सुनवाई…
छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए मंत्रिमंडल विस्तार ने नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। राज्य सरकार द्वारा राजेश अग्रवाल को 14वें मंत्री के रूप में शपथ दिलाए जाने के बाद इस नियुक्ति को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
यह याचिका कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला की ओर से दाखिल की गई है।
याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 164(1ए) का उल्लंघन है, क्योंकि सदन की संख्या के आधार पर मंत्रियों की अधिकतम सीमा पहले ही पूरी हो चुकी है। गौरतलब है कि इससे पहले रायपुर के समाजसेवी वासुदेव चक्रवर्ती ने भी इसी मुद्दे को लेकर जनहित याचिका दाखिल की थी। अब दोनों याचिकाओं पर 8 सितंबर को एक साथ सुनवाई होगी।
सरल और सहज मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का दिखा अपनत्व, नन्हे इवान को गोद में लेकर किया दुलार हरियाणा मॉडल पर टकराव इस पूरे विवाद में सरकार और भाजपा पक्ष ने हरियाणा विधानसभा का उदाहरण सामने रखा है। उनका कहना है कि हरियाणा में भी 90 सदस्यीय सदन है और वहां मुख्यमंत्री समेत 14 मंत्री शामिल हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Cabinet Expansion) में भी यह व्यवस्था लागू हो सकती है।
लेकिन विपक्ष का मत पूरी तरह अलग है। कांग्रेस का कहना है कि हरियाणा फार्मूला संवैधानिक व्याख्या के विपरीत है और इसे छत्तीसगढ़ में लागू करना संविधान की मंशा के खिलाफ होगा। विपक्ष का यह भी कहना है कि निर्धारित सीमा से अधिक मंत्री बनाए जाना लोकतांत्रिक परंपरा के लिए खतरनाक संकेत है।
अदालत के फैसले पर टिकी निगाहें अब निगाहें बिलासपुर हाई कोर्ट पर हैं, जहां यह तय होगा कि 14वें मंत्री की नियुक्ति वैध है या नहीं। इस फैसले का असर न केवल मौजूदा मंत्रिमंडल पर पड़ेगा, बल्कि भविष्य में राजनीतिक समीकरण और कानूनी (Chhattisgarh Cabinet Expansion) व्याख्याओं पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।