आज देशभर में हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है, हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यह व्रत किया जाता है. इसका महत्व मुख्य रूप से विवाहिक सुख, अखंड सौभाग्य और दांपत्य जीवन की मधुरता से जुड़ा है. मान्यता है कि माता पार्वती ने कठोर तप करके इस दिन भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था. तभी से सुहागिन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और वैवाहिक सुख की कामना से यह व्रत करती हैं. ज्योतिष दृष्टि से इस बार यह तीज अत्यंत शुभ मानी जा रही है क्योंकि कई ग्रहों के संयोग से विशेष योग बन रहे हैं, जिससे आज के दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. आइए जानते हैं हरतालिका तीज का महत्व, पूजा विधि और पूजन का सही मुहूर्त…
हरतालिका तीज का महत्व
हरतालिका तीज व्रत पति की लंबी आयु, वैवाहिक सुख और कन्याओं को योग्य पति की प्राप्ति का व्रत है. साथ ही कुंवरी कन्याएं शिव जैसा पति प्राप्त करने के लिए हरतालिका तीज का व्रत करती हैं. इस दिन गौरी शंकर की पूजा अर्चना की जाती है और यह व्रत हस्त नक्षत्र में किया जाता है. हरतालिका तीज का व्रत निर्जला व्रत होता है अर्थात महिलाएं 24 घंटे से ज्यादा समय तक बिना पानी और भोजन के रहती हैं. इस व्रत की कठोरता ही इसे सभी व्रतों से अलग बनाती है.
हरतालिका तीज व्रत पति की लंबी आयु, वैवाहिक सुख और कन्याओं को योग्य पति की प्राप्ति का व्रत है. साथ ही कुंवरी कन्याएं शिव जैसा पति प्राप्त करने के लिए हरतालिका तीज का व्रत करती हैं. इस दिन गौरी शंकर की पूजा अर्चना की जाती है और यह व्रत हस्त नक्षत्र में किया जाता है. हरतालिका तीज का व्रत निर्जला व्रत होता है अर्थात महिलाएं 24 घंटे से ज्यादा समय तक बिना पानी और भोजन के रहती हैं. इस व्रत की कठोरता ही इसे सभी व्रतों से अलग बनाती है.
हरतालिका तीज सरगी का समय
हरतालिका तीज के दिन सूर्योदय 05:56 ए एम पर होगा. सूर्योदय से पूर्व ही सरगी ग्रहण करते हैं. इसमें व्रती महिलाएं दूध, फल, चाय, पानी, जूस आदि ग्रहण करके निर्जला व्रत का प्रारंभ करती हैं. पूरे दिन और अगले दिन सूर्योदय से पूर्व तक अन्न, जल आदि ग्रहण नहीं करती हैं. तीज के दिन आप 05:56 ए एम से पहले सरगी कर लें.
हरतालिका तीज के दिन सूर्योदय 05:56 ए एम पर होगा. सूर्योदय से पूर्व ही सरगी ग्रहण करते हैं. इसमें व्रती महिलाएं दूध, फल, चाय, पानी, जूस आदि ग्रहण करके निर्जला व्रत का प्रारंभ करती हैं. पूरे दिन और अगले दिन सूर्योदय से पूर्व तक अन्न, जल आदि ग्रहण नहीं करती हैं. तीज के दिन आप 05:56 ए एम से पहले सरगी कर लें.
हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: 04:28 ए एम से 05:13 ए एम
अभिजित मुहूर्त: 11:58 ए एम से 12:49 पी एम
विजय मुहूर्त: 02:32 पी एम से 03:24 पी एम
गोधूलि मुहूर्त: 06:50 पी एम से 07:12 पी एम
ब्रह्म मुहूर्त: 04:28 ए एम से 05:13 ए एम
अभिजित मुहूर्त: 11:58 ए एम से 12:49 पी एम
विजय मुहूर्त: 02:32 पी एम से 03:24 पी एम
गोधूलि मुहूर्त: 06:50 पी एम से 07:12 पी एम
लाभ चौघड़िया: सुबह में 10:46 ए एम से 12:23 पी एम तक
अमृत चौघड़िया: दोपहर में 12:23 पी एम से 1:59 पी एम तक
हरतालिका तीज प्रदोष काल पूजा का मुहूर्त दोपहर में 3 बजकर 36 मिनट से 5 बजकर 12 मिनट तक
अमृत चौघड़िया: दोपहर में 12:23 पी एम से 1:59 पी एम तक
हरतालिका तीज प्रदोष काल पूजा का मुहूर्त दोपहर में 3 बजकर 36 मिनट से 5 बजकर 12 मिनट तक
हरतालिका तीज पर बनने वाले योग
हरतालिका तीज पर चार शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. आज पूरे दिन रवि योग रहने वाला है, इसके साथ ही साध्य योग, शुभ योग और पंचमहापुरुष योग भी बन रहा है. इन शुभ योग को ज्योतिष में अत्यंत प्रभावशाली योग माना गया है. ये योग जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर इच्छित फल देते हैं और बुद्धि, प्रतिष्ठा, सौभाग्य और सम्मान में वृद्धि करते हैं. इन शुभ योग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी इच्छाएं की पूर्ति होती है.
हरतालिका तीज पर चार शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. आज पूरे दिन रवि योग रहने वाला है, इसके साथ ही साध्य योग, शुभ योग और पंचमहापुरुष योग भी बन रहा है. इन शुभ योग को ज्योतिष में अत्यंत प्रभावशाली योग माना गया है. ये योग जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर इच्छित फल देते हैं और बुद्धि, प्रतिष्ठा, सौभाग्य और सम्मान में वृद्धि करते हैं. इन शुभ योग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी इच्छाएं की पूर्ति होती है.
हरतालिका तीज पूजा विधि
तीज के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं. फिर घर के पवित्र स्थान पर मिट्टी, चांदी या पीतल की शिव-पार्वती प्रतिमा की स्थापना की जाती है. इसके बाद भगवान गणेश के साथ पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है. पूजन में बेलपत्र, धूप, दीप, फूल, मिष्ठान्न, फल, और ऋतुफल अर्पित किए जाते हैं. पूजा के बाद हरतालिका व्रत कथा का श्रवण अनिवार्य माना गया है. इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित होता है. अगर अनजाने में चंद्रमा का दर्शन हो जाए तो स्वमंतक मणि की कथा सुनना आवश्यक बताया गया है. रात भर महिलाएं जागरण करती हैं, भजन-कीर्तन होता है.
तीज के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं. फिर घर के पवित्र स्थान पर मिट्टी, चांदी या पीतल की शिव-पार्वती प्रतिमा की स्थापना की जाती है. इसके बाद भगवान गणेश के साथ पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है. पूजन में बेलपत्र, धूप, दीप, फूल, मिष्ठान्न, फल, और ऋतुफल अर्पित किए जाते हैं. पूजा के बाद हरतालिका व्रत कथा का श्रवण अनिवार्य माना गया है. इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित होता है. अगर अनजाने में चंद्रमा का दर्शन हो जाए तो स्वमंतक मणि की कथा सुनना आवश्यक बताया गया है. रात भर महिलाएं जागरण करती हैं, भजन-कीर्तन होता है.
हरतालिका तीज का देवी पार्वती से संबंध
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती की सखियों को जब पता चला कि उनके पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से करने की तैयारी कर रहे हैं तो वे देवी पार्वती को महल से ले जाकर जंगल में एक गुफा में छिपा दिया. वहां पर माता पार्वती ने हजारों सालों तक तप, जप और पूजन किया ताकि भगवान शिव प्रसन्न हों. फिर दोनों का विवाह हो. मां पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए. उनके आशीर्वाद से मां पार्वती शिव जी को पति स्वरूप में पाने में सफल हुईं. मान्यता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को माता पार्वती की मनोकामना पूरी हुई थी, जिसकी वजह से महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखकर शिव और पार्वती की पूजा करती हैं, वहीं सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन के लिए यह व्रत करती हैं.
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती की सखियों को जब पता चला कि उनके पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से करने की तैयारी कर रहे हैं तो वे देवी पार्वती को महल से ले जाकर जंगल में एक गुफा में छिपा दिया. वहां पर माता पार्वती ने हजारों सालों तक तप, जप और पूजन किया ताकि भगवान शिव प्रसन्न हों. फिर दोनों का विवाह हो. मां पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए. उनके आशीर्वाद से मां पार्वती शिव जी को पति स्वरूप में पाने में सफल हुईं. मान्यता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को माता पार्वती की मनोकामना पूरी हुई थी, जिसकी वजह से महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखकर शिव और पार्वती की पूजा करती हैं, वहीं सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन के लिए यह व्रत करती हैं.