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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला : चैतन्य बघेल-भूपेश बघेल का रोल, आबकारी नीति में बदलाव

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छत्तीसगढ़ में एक बड़े पैमाने पर शराब घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसने राज्य की राजनीति और प्रशासन को हिला कर रख दिया है. इस घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल+
का नाम सामने आया है, जिसने कांग्रेस पार्टी को गंभीर चुनौती दी है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में चैतन्य बघेल को गिरफ्तार कर लिया है. ईडी ने चैतन्य को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 5 दिन की रिमांड पर भेज दिया गया है.
भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य का शुक्रवार को जन्मदिन था. ठीक उसी दिन ईडी ने भिलाई स्थित उनके घर पर रेड मारी और कुछ घंटे की तलाशी के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया. यह गिरफ्तारी उस समय हुई जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ विधानसभा में थे. ईडी की इस कार्रवाई के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा में हंगामा किया.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में सामने आया है कि 2019 से 2022 के बीच राज्य की आबकारी नीति में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए, जिसके जरिए 2100 करोड़ रुपये से अधिक का घपला हुआ. तो चलिये इस घोटाले को विस्तार से समझते हैं…छत्तीसगढ़ शराब घोटाला की शुरुआत 2019 में हुई, जब भूपेश बघेल की अगुवाई में कांग्रेस सरकार ने राज्य में आबकारी नीति में बड़े बदलाव किए. नई आबकारी नीति में शराब की खरीदी, वितरण और बिक्री पर राज्य सरकार ने पूर्ण नियंत्रण ले लिया. इसी समय से एक संगठित तरीके से कथित रूप से नकली शराब सप्लाई, नकद लेनदेन और शराब माफियाओं को फेवर देने का खेल शुरू हुआ.
इस नीति के तहत शराब बनाने और बेचने का एक समानांतर सिस्टम स्थापित किया गया, जिसमें सरकारी अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं का एक सिंडिकेट शामिल था. इस दौरान, नकली होलोग्राम्स और गलत बिलिंग का इस्तेमाल करते हुए सरकारी खजाने को खूब नुकसान पहुंचाया गया. आरोप है कि डिस्टलरी मालिक से ज्यादा शराब बनवाई गई और नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों से बिक्री करवाई गई.

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में भूपेश बघेल पर क्या आरोप है?

भूपेश बघेल पर आरोप है कि उन्होंने आबकारी नीति में ऐसे बदलाव किए, जिससे शराब के अवैध कारोबार को बढ़ावा मिला और राज्य का राजस्व प्रभावित हुआ. ईडी का आरोप है कि बघेल के करीबी सहयोगियों और अधिकारियों ने इस घोटाले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. विशेष रूप से, उनके बेटे चैतन्य बघेल पर भी आरोप लगे हैं कि उन्होंने इस सिंडिकेट में सक्रिय भूमिका निभाई और मोटा माल कमाया.
बघेल पर आरोप है कि उन्होंने सीएम रहते हुए जानबूझकर इस घोटाले को बढ़ावा दिया, और उनकी सरकार के दौरान राज्य की आबकारी व्यवस्था को पूरी तरह से कमजोर कर दिया गया.

शराब घोटाले की जांच में ईडी क्यों घुसी?

ईडी की जांच की शुरुआत 2023 में हुई, जब छत्तीसगढ़ सरकार ने इस मामले में प्रारंभिक जांच शुरू की. हालांकि, जब मामला मनी लॉन्ड्रिंग की ओर मुड़ता दिखा, तो ईडी को इसमें शामिल किया गया. ईडी ने पाया कि इस घोटाले से हासिल पैसों को विभिन्न चैनलों के माध्यम से ब्लैक से वाइट किया गया और फिर निजी खातों में ट्रांसफर किया गया. ईडी की इस जांच के बाद कई अधिकारियों और मध्यस्थों की गिरफ्तारी हुई और यह स्पष्ट हो गया कि यह मामला केवल शराब के अवैध कारोबार से बढ़कर बड़े पैमाने पर किए गए आर्थिक अपराध था.

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला कितने रुपये का है?

ईडी ने शुरुआती जांच में दावा किया कि यह घोटाला 2160 करोड़ रुपये का है. इस घोटाले में शामिल सिंडिकेट ने शराब बनाने और बेचने में गड़बड़ियां कीं, जिससे राज्य को भारी नुकसान हुआ. इसके अलावा, रिश्वत और कमीशन के रूप में लिए गए पैसे को भी इस राशि में शामिल किया गया है. यह घोटाला न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि प्रशासनिक और राजनीतिक विश्वास को भी हिला देने वाला है.

शराब घोटाले में किन अफसरों पर आरोप हैं?

शराब घोटाले में कई वरिष्ठ अधिकारियों पर आरोप लगे हैं. इनमें पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL) के एमडी अरुण पति त्रिपाठी, और अनवर ढेबर का नाम मुख्य आरोपियों के रूप में सामने आया है. इनपर आरोप है कि उन्होंने आबकारी नीति में बदलावों को लागू करने और इस सिंडिकेट को चलाने में सक्रिय भूमिका निभाई.
ईडी की जांच में शराब कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अरविंद सिंह सहित कुछ अन्य कारोबारियों को शामिल किया गया और उनकी संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया जारी है.
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला एक ऐसे नेटवर्क का खुलासा करता है, जहां राजनीतिक, प्रशासनिक और आर्थिक हित आपस में जुड़े हुए हैं. भूपेश बघेल और चैतन्य बघेल पर लगे आरोपों ने कांग्रेस पार्टी को गंभीर चुनौती दी है, जबकि ईडी की जांच ने इस घोटाले की गहराई को उजागर किया है. 2100 करोड़ रुपये का यह घोटाला राज्य के राजस्व और जनता के विश्वास को हिला देने वाला है और दोषियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया जारी है.

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