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छत्तीसगढ़ में हर दिन 3 मर्डर, 7 अपहरण; सदन में मचा हंगामा, कांग्रेस ने BJP को आंकड़ों में घेरा

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छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था पर एक बार फिर से चर्चा में है. हत्या, बालात्कार जैसे अपराधों के साथ ही अपहरण, लूटमार, चोरी जैसे संगीन अपराधों के दर्ज मामलों और पुलिस के एक्शन पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में विधायकों के सवाल के जवाब में राज्य में अपराध के दर्ज आंकड़े पेश किए गए हैं. इन आंकड़ों को लेकर राज्य में कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं. आइए जानते हैं किसने क्या कहा?

पहले जानिए क्या कहते हैं आंकड़े? Chhattisgarh Crime Data
छत्तीसगढ़ में बीते डेढ़ साल में कुछ ऐसे मौके भी आए, जिसमें कानून व्यवस्था भीड़तंत्र के सामने फेल नजर आई. जून 2024 में बलोदाबाजार, सितंबर 2024 में कबीरधाम और अक्टूबर 2024 में सूरजपुर और बलरामपुर में आपराधिक घटनाओं के बाद भीड़ आक्रोशित और हिंसक हो गई. इन बड़ी घटनाओं के साथ ही राज्य में अपराध के ये आंकड़े भी जान लीजिए.

किसने क्या कहा?
कांग्रेस विधायक देवेन्द्र यादव ने कहा कि भाजपा की सरकार में दो साल में रायपुर में 844 संगीन अपराध हुए है. इसमें से 332 में ही गिरफ्तारी की कार्रवाई की गई. इसी प्रकार दुर्ग में 2540 अपराध हुए इसमें 1007 पर कार्रवाई हुई. बिलासपुर में 2794 मामले में से 1015, रागयगढ़ 1595 में से 775 और कोरबा 1620 में से 676 मामले पर ही पुलिस ने कार्रवाई की. भाजपा की सरकार में पुलिस के संरक्षण में अपराध फलफूल रहा है. अपराधी खुलेआम अपराध कर रहे हैं क्योंकि उन्हे शासन और पुलिस का भय नहीं है. कुछ समय पहले भिलाई की एक मासूम बच्ची जो स्कूल के आने के बाद स्पोर्ट्स खेल कर अपने घर जा रही थी, जिसे किसी कार चालक ने ठोकर मार दी. कार्रवाई के लिए एसपी आईजी के पास गए. जांच कमेटी भी बनाई गई है, लेकिन बावजूद इस माह भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

विधानसभा में पेश आंकड़े बताते हैं कि जनवरी 2023 से 20 जून 2025 के बीच औसतन हर दिन 2 से ज्यादा हत्याएं, 8 से ज्यादा अपहरण, 1 से ज्यादा लूट, 7 से ज्यादा बालात्कार और 18 से ज्यादा चोरियां हुईं.
वहीं सत्ताधारी पार्टी BJP की ओर से विधायक रिकेश सेन ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अपराध के मामले इसलिए ज्यादा दर्ज हो रहे हैं क्योंकि वह मामले दर्ज किया जा रहे हैं पिछली सरकार में तो आंकड़ों को छुपाने के लिए अपराध के मामले दर्ज ही नहीं किए जाते थे. चर्चा के समय विपक्ष के लोग वर्कआउट कर देते हैं जबकि इस पर चर्चा करनी चाहिए.