जंग की परिभाषा बदल रही है. अब युद्ध सिर्फ बंदूकों और बूटों की लड़ाई नहीं रही है. ये वो युग है जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, रोबोट और डेटा वॉरफेयर ने पारंपरिक इन्फैंट्री को नई धार दे दी है. इसी नई धार की झलक मिली मेरठ के खड़गा कोर फील्ड ट्रेनिंग एरिया में, जहां भारतीय सेना की वेस्टर्न कमांड ने लाइव युद्धाभ्यास ‘प्रचंड शक्ति’ का आयोजन किया.
भारतीय सेना की वेस्टर्न कमांड ने अपने एक्स (X) हैंडल से जारी इस वीडियो के साथ स्पष्ट संकेत दिया — कि अब जंग सिर्फ ज़मीन पर नहीं, तकनीक के हर मोर्चे पर लड़ी जाएगी. यह अभ्यास न सिर्फ इन्फैंट्री की पारंपरिक छवि को पुनर्परिभाषित करता है, बल्कि दिखाता है कि भारतीय पैदल सेना अब आधुनिक तकनीकों से लैस एक स्मार्ट युद्धक बल बन चुकी है — जो दुश्मन की सीमा में गहराई तक घुसकर निर्णायक प्रहार करने में सक्षम है.
भारतीय सेना ने वर्ष 2025 को ‘Year of Tech Absorption’ घोषित किया है — एक ऐसी पहल, जिसका उद्देश्य स्वदेशी तकनीकों को सेना के वास्तविक युद्धक अभियानों में समाहित करना है. ‘प्रचंड शक्ति’ इस लक्ष्य का प्रतीक बनकर उभरा है — जहां इन्फैंट्री के पारंपरिक साहस को AI, ड्रोन, लॉइटरिंग म्यूनिशन, और स्वायत्त रोबोटिक हथियारों की धार मिली. इस युद्धाभ्यास में खड़गा कोर ने दर्शाया कि भविष्य का सैनिक सिर्फ लड़ने वाला नहीं होगा, वह डेटा विश्लेषक, टेक्नोलॉजी यूज़र और रोबोटिक कमांडर भी होगा.
प्रचंड शक्ति’ में इस्तेमाल हुई तकनीकों ने भारत की रक्षा क्षमता को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया:
– AI-आधारित कमांड सिस्टम – रियल टाइम निर्णय क्षमता — तेज़ी, सटीकता और मिशन सफलता की गारंटी.
– AI-आधारित कमांड सिस्टम – रियल टाइम निर्णय क्षमता — तेज़ी, सटीकता और मिशन सफलता की गारंटी.
– Loitering Munitions (कामीकाज़े ड्रोन) – टारगेट खोजते हैं, वहीं फट जाते हैं — सैनिकों को खतरे में डाले बिना दुश्मन को खत्म करते हैं.
– Autonomous Combat Platforms – ऐसे लड़ाकू रोबोट जो बिना इंसानी हस्तक्षेप दुश्मन की पहचान कर स्वतः हमला करते हैं.
– UAV Surveillance – दुश्मन की निगरानी और लक्ष्य निर्धारण में अहम भूमिका – कम रिस्क, ज्यादा इम्पैक्ट.
इस अभ्यास ने साबित किया कि भारतीय सेना युद्ध के पारंपरिक तरीकों को पीछे छोड़, नेटवर्क-सेंट्रिक, AI-संचालित और मल्टी-डोमेन कॉम्बैट की ओर बढ़ चुकी है. सैनिक अब सिर्फ बॉर्डर पर नहीं, बल्कि डेटा, साइबर और इलेक्ट्रॉनिक डोमेन में भी जंग लड़ने को तैयार हैं. खड़गा कोर की यह पहल बताती है कि भारत न केवल दुश्मन को हराने की तैयारी कर रहा है, बल्कि युद्ध की परिभाषा को भी बदल रहा है.
‘प्रचंड शक्ति’ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि इसमें इस्तेमाल की गई अधिकांश तकनीकें भारतीय स्टार्टअप्स और घरेलू कंपनियों द्वारा विकसित की गई थीं. ड्रोन से लेकर रोबोट तक, AI सिस्टम से लेकर लॉइटरिंग म्यूनिशन तक — सब भारत में बना. भारतीय सेना का यह कदम सिर्फ सैन्य अभ्यास नहीं — यह रणनीतिक क्रांति है. अब लड़ाई के मैदान में भारत की इन्फैंट्री सिर्फ “जमीन पर कब्ज़ा” करने वाली ताकत नहीं रही — बल्कि यह डिजिटल डोमिनेशन, डेटा सिक्योरिटी और टेक्नो-सुपीरियोरिटी की प्रतीक बन चुकी है. और यही है प्रचंड शक्ति — तकनीक, आत्मनिर्भरता और बहादुरी का शक्तिशाली संगम.