पीएम नरेंद्र मोदी आज शाम राष्ट्रपति भवन पहुंचे और उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की. यह मीटिंग संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले हो रही है. ऐसे में इसे संसद की कार्यवाही से जोड़कर देखा जा रहा है. सूत्रों के अनुसार पीएम नरेंद्र मोदी ने इस मुलकात के दौरान मानसून सत्र के एजेंडे प्रमुख विधेयकों और सरकार की रणनीति पर चर्चा की. इस बार सत्र में चुनाव आयोग का SIR, मणिपुर हिंसा, पहलगाम आतंकी हमला और जीएसटी सुधार जैसे मुद्दे छाए रहने की संभावना है. यह मुलाकात संसद सत्र से पहले सभी दलों के साथ सहमति बनाने की दिशा में एक औपचारिक कदम हो सकता है.
कांग्रेस भी रणनीति के साथ तैयार
उधर, कांग्रेस ने भी आज दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की, जिसमें मौजूदा राजनीतिक हालातों पर मंथन हुआ. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पीएम पर मणिपुर हिंसा और पहलगाम हमले जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया. पार्टी ने सत्र में इन मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है. कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर, भारत-चीन सीमा तनाव और बेरोजगारी जैसे विषयों पर चर्चा की मांग की है. साथ ही, विपक्षी गठबंधन INDIA ने मणिपुर में शांति बहाली के लिए पीएम के बयान की मांग दोहराई.
उधर, कांग्रेस ने भी आज दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की, जिसमें मौजूदा राजनीतिक हालातों पर मंथन हुआ. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पीएम पर मणिपुर हिंसा और पहलगाम हमले जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया. पार्टी ने सत्र में इन मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है. कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर, भारत-चीन सीमा तनाव और बेरोजगारी जैसे विषयों पर चर्चा की मांग की है. साथ ही, विपक्षी गठबंधन INDIA ने मणिपुर में शांति बहाली के लिए पीएम के बयान की मांग दोहराई.
ममता के पास भी एक्शन प्लान!
कांग्रेस की बैठक दर्शाती है कि विपक्ष संसद में सरकार पर दबाव बनाने की पूरी तैयारी में है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सत्र सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक का गवाह बनेगा. बीजेपी गठबंधन के लिए यह सत्र इसलिए भी अहम है क्योंकि 2024 के चुनावी जीत के बाद यह पहला बड़ा संसद सत्र है. सरकार जहां ‘विकसित भारत’ के अपने विजन को आगे बढ़ाना चाहती है. वहीं विपक्ष क्षेत्रीय और सामाजिक मुद्दों को उठाकर जनता के बीच अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश करेगा. ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दल भी बंगाली अस्मिता जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठा सकते हैं.
कांग्रेस की बैठक दर्शाती है कि विपक्ष संसद में सरकार पर दबाव बनाने की पूरी तैयारी में है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सत्र सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक का गवाह बनेगा. बीजेपी गठबंधन के लिए यह सत्र इसलिए भी अहम है क्योंकि 2024 के चुनावी जीत के बाद यह पहला बड़ा संसद सत्र है. सरकार जहां ‘विकसित भारत’ के अपने विजन को आगे बढ़ाना चाहती है. वहीं विपक्ष क्षेत्रीय और सामाजिक मुद्दों को उठाकर जनता के बीच अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश करेगा. ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दल भी बंगाली अस्मिता जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठा सकते हैं.