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बहन से उधार लिए कपड़े, पिता जुल्फीकार की हिदायतें और शिमला में खूबसूरत बेनजीर भुट्टो की दीवानगी

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भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम हमले के बाद से ही तनाव देखा जा रहा है. दोनों देशों के बीच तनातनी है और पूरे विश्व की नजरें इस पर है. पाकिस्तान ने भारत के साथ हुए शिमला समझौते को सस्पेंड किया है. इस समझौते की यादें शिमला से जुड़ी हुई हैं और अब भी हिमाचल प्रदेश का राजभवन एतिहासिक लम्हों का गवाह है. समझौते को लेकर पाकिस्तानी राष्ट्रपति जुल्फिकार भुट्टो के साथ उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो भी आई थी और उन्होंने अपनी किताब बेनजीर भुट्टो की जीवनी-डॉटर ऑफ ईस्ट में छह पन्नों में शिमला समझौते का जिक्र किया है.

बेनजीर भुट्टो ने लिखा कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान मुझे अब पाकिस्तान की पिंकी के रूप में नहीं जाना जाता था, बल्कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति की बेटी पिंकी भुट्टो के रूप में जाना जाता था. वह लिखती हैं कि शिमला, 28 जून 1972, मेरे पिता, पाकिस्तान के राष्ट्रपति, और भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बीच एक शिखर सम्मेलन. इसके परिणाम पर पूरे उपमहाद्वीप का भविष्य निर्भर था. और फिर, मेरे पिता चाहते थे कि मैं वहां रहूं. बेनजीर ने कहा कि मैं हार्वर्ड से गर्मियों की छुट्टी के बाद लौटी थी और मेरे पिता चाहते थे कि मैं भी इस समझौते की गवाह बनूं.

अपनी किताब में पूर्व पीएम की बेटी बेनजीर लिखती हैं कि हर कोई देखेगा कि बैठकें कैसे चल रही हैं, इसलिए पिता ने कहा था कि अतिरिक्त सावधानी बरतें, मेरे पिता ने विमान में मुझे सलाह दी. “तुम मुस्कुराओ मत और यह आभास मत दो कि तुम आनंद ले रही हो और तुम उदास भी मत दिखो, जिसे लोग निराशावाद का संकेत मान सकते हैं.  “तो मुझे कैसे दिखना चाहिए?” मैंने उनसे पूछा. “मैंने पहले ही तुम्हें बता दिया है.