सूरत के कापोद्रा के खोडियार नगर का एक आम सब्जी विक्रेता 36 वर्षीय प्रमोद चौधरी, अपने घर से निकला. लेकिन यह एक ऐसी यात्रा निकली जिससे उसकी वापसी कभी ना हो सकी. उसकी पत्नी आरती देवी चौधरी, अगले दिन पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराती है. किसी अनहोनी की आशंका से उसका दिल कांप रहा था. जांच की सुई घूमती रही और छह दिन बाद ओलपाड के कारेली गांव के पास की नहर में एक अज्ञात लाश मिलती है. पहचान नहीं होने के कारण ओलपाड पुलिस बेखबर होकर अंतिम संस्कार कर देती है. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था.
सूरत पुलिस की तहकीकात की परतें धीरे-धीरे खुलने लगीं. प्रमोद का साला, धनंजय चौधरी, एक युवती के साथ भाग गया था. यह एक प्रेम कहानी थी जिसने खूनी मोड़ ले लिया था. युवती के भाई नितेश बैठ और उसके साथियों का गुस्सा सातवें आसमान पर था. धनंजय तक उनकी पहुंच नहीं थी तो उन्होंने उसके बदले प्रमोद को सबक सिखाने की खौफनाक साजिश रची. 8 अप्रैल की काली शाम को नितेश ने अपने पुराने गैराज मालिक मोहित परवड़िया और दोस्तों कपिल कोलडिया, जय उर्फ बावा लश्करी और दीक्षित मकवाना के साथ मिलकर एक गाड़ी का इंतजाम किया. इसके बाद प्रमोद का अपहरण हुआ.