दिल्ली के गोकुलपुरी में रहने वाले रवि कहते हैं कि लोग उनका मजाक उड़ाते हैं क्योंकि वह गंदा रहते हैं। लोग उनकी परेशानी नहीं समझते। असल में, उनके घर में शौचालय नहीं है। उन्हें सार्वजनिक शौचालय इस्तेमाल करना पड़ता है। उनकी मां और बहन भी वही शौचालय इस्तेमाल करती हैं। रवि कहते हैं, ‘मैं बिना नहाए रह सकता हूं, लेकिन उस शौचालय में अकेले नहीं जा सकता। वहां ड्रग्स लेने वाले लोग बैठे रहते हैं। अगर हम शौचालय में जाते हैं, तो वे हम पर ब्लेड से हमला करते हैं।’ इन लोगों ने शहर के कई सार्वजनिक शौचालयों पर कब्जा कर लिया है। शौचालयों में माचिस की तीलियां, टूटी हुई सिरिंज, मुड़ी हुई फ़ॉइल और खाली दवाइयों के पत्ते बिखरे रहते हैं। वहां सड़ी हुई बदबू आती है। यह बदबू जले हुए एल्यूमीनियम फ़ॉइल के धुएं के साथ मिलकर और भी तेज हो जाती है। ड्रग्स लेने वाले लोग शौचालय के अंदर ही अपनी जगह बना लेते हैं। उनके हाथ कांपते रहते हैं और वे चोरी की हुई सिरिंज से नशा करते हैं।



