संसद के दोनों सदनों से वक्फ (संशोधन) विधेयक के पारित होने के बाद, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में नए राजनीतिक समीकरण उभरकर सामने आए हैं। यह विधेयक पारित करना महत्वपूर्ण है, विशेषकर तब जब तीसरी बार मोदी सरकार को बहुमत के लिए अपने सहयोगी दलों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। यह गठबंधन राजनीति की गतिशीलता में महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक, जो मुस्लिम धर्मार्थ भूमि संपत्तियों के प्रबंधन में बदलाव करता है, में गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्डों में शामिल करने और सरकारी निगरानी बढ़ाने का प्रावधान है। समर्थकों का तर्क है कि ये बदलाव भ्रष्टाचार कम करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए हैं, जबकि आलोचकों का मानना है कि यह मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और धार्मिक संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ा सकता है।



