जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा में भूमि रिकार्ड के आधुनिकीकरण, व्यापकता और एक पारदर्शी भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली विकसित करने हेतु जिला प्रशासन द्वारा एक अभिनव पहल किया गया है जिसमें 1950 के दशक से वर्तमान तक के राजस्व रिकार्डस जिसमें बी-1, खसरा, नामांतरण पंजी, मिसल, अधिकार अभिलेख, राजस्व प्रकरण नजूल प्रकरण व्यपवर्तन प्रकरण इत्यादि को स्कैनिंग करने का कार्य कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी के मार्गदर्शन में भू-अभिलेख शाखा द्वारा संपादित किया जा रहा है।
इससे जिले की राजस्व भूमि के बारे में वास्तविक समय की जानकारी में सुधार, भूमि संसाधनो के अधिकतम उपयोग, भूमि स्वामियों को लाभ, भूमि से संबंधित नीति एवं योजना बनाने मे सहायक, धोखाधड़ी बेनामी लेनदेन की जांच करना, फर्जी जाति प्रकरण का त्वरित निराकरण। जाति, निवास, आय एवं भूमि क्रय-विक्रय में लगने वाले समय मे कमी, राजस्व, पंजीकरण कार्यालय में भौतिक आवश्यकता को समाप्त करने, तहसील स्तर पर हितग्राहियों को तुरंत भूमि संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने, विभिन्न संगठन, एजेंसी के साथ जानकारी साझा कर भूमि संबंधित योजनाओं में विविधता, आकस्मिक स्थितियों में राजस्व रिकार्डस को डिजिटल रूप में सुरक्षित रहने तथा वर्तमान व्यवस्था के पश्चात भूमि संबंधित दस्तावेज प्राप्त करना बेहद ही आसान होगा। इसके अलावा किसी भी जमीन का खसरा नंबर मात्र से ही उससे जुड़े 70 साल से भी अधिक पुराने अभिलेख एक क्लिक पर आवेदक को उपलब्ध कराना संभव हो सकेगा। जबकि इसके पूर्व आवेदक को इन दस्तावेजों को प्राप्त करने में हफ्तों या महीनों का समय व्यतीत हो जाता था। और आवेदक के आवेदन करने के पश्चात दस्तावेज़ को बार-बार खंगालने मे पुराने हो चुके अभिलेखों के पन्नों के खराब होने का डर होता था, परन्तु राजस्व अभिलेखों के इस प्रकार नवीन प्रबंधन किये जाने से उपरोक्त समस्या से निजात मिलेगी। साथ ही पुराने अभिलेखों के साथ फेरबदल नहीं किया जा सकेगा।