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छत्‍तीसगढ़ : 22 जुलाई से शुरू होंगे मानसून सत्र, सदन की कुल पांच बैठकें होगीं, नगरीय निकायों के चुनाव से जुड़ा संशोधन विधेयक लाएगी सरकार…

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छत्‍तीसगढ़ : 22 जुलाई से शुरू होंगे मानसून सत्र, सदन की कुल पांच बैठकें होगीं, नगरीय निकायों के चुनाव से जुड़ा संशोधन विधेयक लाएगी सरकार…

22 जुलाई से शुरू हो रहा छत्‍तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र बेहद हंगामेदार रहने की संभावना जताई जा रही है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस की तरफ से सरकार को घेरने की पूरी तैयारी की जा रही है।

छत्‍तीसगढ़ में 22 जुलाई से शुरू होने जा रहे विधानसभा के मानसून सत्र में राज्य सरकार की ओर से अनुपूरक बजट लाने की तैयारी की जा रही है। यह चालू वित्तीय वर्ष का पहला अनुपूरक बजट होगा। अनुपूरक बजट का आकार क्या होगा, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। अनुपूरक बजट को लेकर वित्त विभाग ने सभी विभागों से प्रस्ताव मांगा है। इसके आधार पर बजट प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।

बताते चलें कि चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए सरकार ने कुल एक लाख 60 हजार 568 करोड़ रुपये का मुख्य बजट पेश किया था। इसमें कर्ज और उसके ब्याज की अदायगी को कम करने के बाद बजट का कुल आकार एक लाख 47 हजार 446 करोड़ रुपये का है। इतने बड़े बजट के बावजूद छत्‍तीसगढ़ सरकार को तीन माह बाद ही अनुपूरक बजट लाना पड़ रहा है।

विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सदन की कुल पांच बैठकें होगीं। इस दौरान सरकार की तरफ से अनुपूरक बजट के साथ ही कुछ संशोधन विधेयक पेश किए जाने की तैयारी है। इसमें नगरीय निकायों के चुनाव से जुड़ा संशोधन विधेयक महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि राज्य में इसी वर्ष के अंत में नगरीय निकायों के चुनाव होने हैं।

बताया जाता है कि राज्य सरकार नगरीय निकाय चुनाव में ईवीएम के जरिये मतदान कराने और महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का फैसला कर सकती है। इस निर्णय को अमल में लाने सरकार को कानून में संशोधन करना होगा।

विधानसभा के मानसून सत्र की अधिसूचना जारी होने के साथ ही विधायकों की तरफ से प्रश्न लगाए जाने का क्रम शुरू हो गया है। दो दिनों में कुल 157 प्रश्नों की सूचना विधानसभा सचिवालय को मिली है। विधायक तीन जुलाई तक सवाल लगा सकते हैं। मानसून सत्र 26 जुलाई तक चलेगा।

विधानसभा के मानसून सत्र के बेहद हंगामेदार रहने की संभावना जताई जा रही है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस की तरफ से सरकार को घेरने की पूरी तैयारी की जा रही है। कांग्रेस ला एंड आर्डर विशेष रुप से बलौदाबाजार की घटना को लेकर सदन में सरकार पर हमलावर रह सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसके संकेत दिए हैं। प्रदेश में कानून व्यवस्था, बिजली कटौती, खाद-बीज की समस्या, योजनाओं के नाम बदले जाने आदि मुद्दे छाए रहेंगे।