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छत्तीसगढ़ : प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा सभी जिला सहकारी बैंक में प्रशासक द्वारा संसाधनों का दुरूपयोग लगातार अपने नेताओं को खुश करने के लिए राजनैतिक रूप से इस्तेमाल किया जाता रहा है।

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”छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पश्चात 6 जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक कार्यरत है जो कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, जगदलपुर, अम्बिकापुर एवं राजनांदगांव में है।”

प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा सभी जिला सहकारी बैंक में प्रदेश के मुखिया के द्वारा अपने चहेतों को उपकृत करने के लिए बैंक में मुखिया बनाकर बैठाया गया था।

1 जिला बैंक राजनांदगांव मे भी जुलाई 2021 में नवाज खान को बैंक प्रशासक के रूप में राज्य शासन द्वारा नियुक्त किया गया था।

बैंक में जिस दिन नवाज खान को प्रशासक के रूप में नियुक्त किया गया उसी दिन से खान द्वारा बैंक में लगातार आर्थिक अनियमितता किया जाता रहा है। प्रशासक द्वारा बैंक के संसाधनों का दुरूपयोग लगातार अपने नेताओं को खुश करने के लिए राजनैतिक रूप से इस्तेमाल किया जाता रहा है।

इनके द्वारा प्रशासक नियुक्त होने पर अपने शपथ ग्रहण कार्यक्रम के नाम पर 3 लाख रूपये का खर्च किया गया। प्रशासक नियुक्त होने के तुरंत बाद अपने साले को दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया। जो कि नियम के विपरित है। इसके पश्चात इनके द्वारा लगातार बैंक में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के रूप में अपने चहेतों के मातहतों को लगभग 55 कर्मचारियों की नियुक्ति की गई जिसमें करोड़ों रूपये का लेनदेन की खबर मिडिया एवं अन्य माध्यमों से जिले भर में प्रचारित होते रहा है।

दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की नियुक्ति विधिवत्त नहीं किये जाने के कारण नियुक्ति का मामला भारतीय जनता पार्टी की विधायक श्रीमती बोहरा द्वारा विधानसभा में उठाये जाने पर दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी की नियुक्ति प्रथम दृष्टया गलत पाये जाने के कारण सभी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी को बैंक सेवाओं से निकाला गया।

दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को वेतन के रूप में लगभग 1 करोड रूपये का भुगतान कर बैंक की साख को नुकसान पहुंचाया गया। तथा खान के प्रशासक नियुक्त होते ही बैंक में कार्यरत कर्मचारियों का लगातार अनावश्यक रूप से स्थानांतरण किया जाकर कर्मचारियों से लाखों रूपये की उगाही की गई जिसके कारण कर्मचारियों में लगातार असतोष रहा है तथा कुछ कर्मचारियों को अत्यधिक परेशान करते हुये अपने कार्यकाल के दौरान 4 से 5 बार स्थानांतरण कर कर्मचारियों को मानसिक एवं आर्थिक रूप से परेशान करने का कार्य किया गया। उनके द्वारा अपने नेताओं को खुश करने के लिए किसान सम्मेलन के रूप में ग्राम भरेगांव में किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 13 लाख रूपये खर्च कर बैंक को आर्थिक नुकसान कराया गया है। तथा विधानसभा चुनाव के पूर्व भी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे के कार्यकम कराकर कांग्रेस पार्टी के प्रचार-प्रसार के लिए ग्राम ठेकवा में आयोजन कराने में भी लगभग 10 लाख रूपये का खर्च बैंक के द्वारा कराया गया। इनके द्वारा प्रदेश से बाहर राज्य तेलंगाना के हजारों किसानों को आमंत्रित करके काग्रेस पार्टी के प्रचार प्रसार करने में भी बैंक के संसाधनों का दुरूपयोग करते हुए बैंक से लगभग 10 लाख रूपये खर्च किया गया।

इसी प्रकार से दिल्ली में संगोष्ठी कार्यक्रम में बैंक प्रशासक ही दिल्ली जाने के लिए अधिकृत थे किन्तु खान द्वारा अपने खास 12 लोगों को हवाई जहाज के माध्यम से दिल्ली जाने आने एंव महंगे होटलों में ठहरने खाने पीने मौज उड़ाने में भी बैंक का लगभग 3 लाख रूपये खर्च किया गया। इनके द्वारा माह मई जुन 2023 के महीने में राजनांदगांव के किसानों को गन्ना खेती करने का प्रलोभन दिया जाकर जिले से हजारों किसानों को लगभग 200 चार पहिया वान के द्वारा डोंगरगढ़ से जिला कबीरखाम का सैर सपाटा कराकर जिले के प्राथमिक समितियो का भी लाखों रूपये का अपव्यय किया गया। तथा राजनांदगांव, मोहला, खैरागढ़ में जनचौपाल के माध्यम से कांग्रेस पार्टी के प्रचार-प्रसार में करोड़ों रूपये का खर्च कराया गया है। जिसकी जाच विभागीय अधिकारियों द्वारा किया जाना लंबित है।

बैंक के कार्यक्षेत्र जिला कबीरधाम में बैंक की 3 शाखाओं के खोलने में भी बैंक का लगभग 28 लाख रूपये का खर्च किया गया। जो बैंक में ऐसे खचों के लिए किये गए प्रावधान से कई गुना खर्च किया जाकर बैंक को अनावश्यक आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया। इनके प्रशासक पद पर रहते हुये जिले के समस्त विभागों में अपना दखल लगातार बनाये रखा। इसी परीपेक्ष्य में जिले के एक अधिकारी डॉ. अरविंद मरावी जिला आयुर्वेद अधिकारी जो कि एक अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मचारी को अश्लील भाषा का उपयोग करते हुये मां बहन की गाली देकर एवं जातिगत गाली देकर प्रताड़ित किया गया। तथा उनका स्थानांतरण नक्सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर में कराकर अधिकारी को मानसिक एवं आर्थिक रूप से परेशान किया गया।

बैंक में इनके द्वारा बैंक में बिना अनुमत्ति के कर्मचारी नियुक्ति किये जाने पर बैंक के संसाधनों का दुरूपयोग किये जाने पर बैंक के संचालक मंडल की बैठक में जिले के एक वरिष्ठ विभागीय अधिकारी श्री अनिल बनज जो कि अनुसूचित जाति वर्ग के कर्मचारी थे अधिकारी द्वारा बिना अनुमति के नियुक्ति के संबंध में आपत्ति किये जाने पर बैठक के दौरान ही उक्त अनुसूचित जाति के अधिकारी को इनके द्वारा अनावश्यक गाली गलौच किया गया एवं अधिकारी को मारने के लिए हाथ उठाया गया था, जिसकी शिकायत उक्त अधिकारी के द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति थाना में लिखित शिकायत कराया गया था। जिसे खान द्वारा राज्य के मुखिया के से दबाव डालकर कार्यवाही को बाधित कर उक्त्त अधिकारी का जिले से स्थानांतरण अन्य जिला में करवा दिया गया।

बैंक में हुये आर्थिक अनियिमतताओं की उच्च अधिकारियों की कमेटी द्वारा जांच कराया जा रहा है। इसी प्रकार बैंक प्रशासक खान द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान अपने स्वयं एवं अपने लोगों के खाने पीने के लिए विभिन्न होटलों जैसे सिटी हार्ट होटल से रूपये 5 लाख रूपये, जलाराम होटल से लगभग 4 लाख रूपये खंडेलवाल होटल से 40 हजार रूपये कंवर पैलेस होटल से 25 हजार रूपये मानव मंदिर से 50 हजार रूपये लस्सी जूस पीने में 50 हजार रूपये चिकन खाने पर 20 हजार रूपये खान होटल से मांशाहारी खाने पर लगभग 2 लाख रूपये पिज्जा खाने पर 5 हजार रूपये ऐसे कई प्रकार के ऐसो आराम के लिए भी बैंक से राशि का दुरुपयोग किया गया है जो कि बैंक नियमों के विपरित खर्च किये गये है।

खान के प्रशासक नियुक्त होने के पश्चात (1) शपथ ग्रहण कार्यकम के नाम पर 3 लाख रूपयें, (2) भरेंगांव किसान सम्मेलन के नाम पर 13 लाख रूपये (3) कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यक्रम ग्राम ठेकवा के नाम 10 लाख रूपये (4) तेलंगाना राज्य के किसानों के आव भगत में 10 लाख रूपये (5) दिल्ली भ्रमण के नाम पर 3 लाख रूपये (6) नवीन शाखाओं के खोलनें के नाम पर 28 लाख रूपये तथा विभिन्न प्रकार के होटलों के बिल 4.65 लाख रूपये एवं चिकन मटन के बिल के नाम पर 2.20 लाख रूपये, पिज्जा बर्गर के नाम पर 5 हजार रूपये इस प्रकार कुल राशि 73.90 लाख रूपये बैंक को अनावश्यक रूप से नुकसान पहुंचाया गया। जो कि बैंक में जमा कराने वाले अमानतदारों की राशि है। प्रशासक द्वारा बैंक में उपलब्ध वाहनों में से 2 बालेरों वाहन जो कि अच्छे कंडिशन के होने पर भी बिना कोई निविदा के अपने रिस्तेदारों को बहुत ही कम कीमत पर बेच दिया गया। जबकि बैंक के अतिआवश्यक कार्यों के लिए उन वाहनों का उपयोग किया जाता था। वाहन नही होने पर बैंक के कार्य के लिए किराये पर वाहन उपयोग करने में बैंक को लाखों रूपयें का आर्थिक बोझ पड रहा है।