छत्तीसगढ़ राज्य औषधीय पादप बोर्ड भले ही औषधीय आउटलेट की संख्या नहीं बढ़ा रहा हो, लेकिन इसके आउटलेट में औषधियों की जबर्दस्त डिमांड है। विदेशी यात्री इन औषधियों को खासे पसंद कर रहे हैं। एयरपोर्ट और रायपुर रेलवे स्टेशन में संचालित औषधीय आउटलेट में लगभग 200 से अधिक औषधीय चूर्ण, हर्बल उत्पाद की ब्रिकी होती है। रेलवे स्टेशन के आउटलेट प्रभारी विष्णु बारले के अनुसार सबसे अधिक मांग बस्तर हनी और आंवला चूर्ण की है। यात्री इसके एक नहीं बल्कि कई डिब्बों की मांग करते हैं।
डाक के माध्यम से भेजा जाता है
औषधीय आउटलेट की संख्या बढ़ाने की मांग कई वर्षों से हो रही है, लेकिन फंड व कर्मचारियों की कमी का हवाला देकर छत्तीसगढ़ राज्य औषधीय पादप बोर्ड नया आउटलेट शुरू नहीं कर रहा है। एयरपोर्ट पर संचालित आउटलेट के प्रभारी नरेंद्र लहरे ने बताया कि बस्तर हनी, अश्वगंधा चूर्ण, मधुमेह नाशक चूर्ण, आंवला, त्रिफला की बिक्री अधिक है। कई बार तो यह स्थिति हो जाती है कि डिमांड के अनुरूप सप्लाई नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति में डाक के माध्यम से भेजना पड़ता है।
1500 वनौषधीय चिन्हित
प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी हर्बल उत्पाद की मांग है। स्वसहायता संगठनों का कहना है कि स्थानीय औषधीय उत्पादों को सही बाजार नहीं मिलने से इनकी उपयोगिता का संकट खड़ा हो रहा है। औषधीय पौधों के उत्पादन से जुड़े किसानों का कहना है कि आउटलेट के माध्यम से सिर्फ उत्पाद की खपत होती है। प्रदेश में लगभग 1500 प्रजाति के वनौषधीय पौधे चिन्हित हैं। इनमें से कई उत्पादों की मांग विदेशों तक होती है। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ राज्य औषधीय पादप बोर्ड के अंतर्गत सात वर्ष में महज दो ही आउटलेट खुल पाए हैं।
आउटलेट बढ़ाने की जरूरत
एयरपोर्ट पर संचालित आउटलेट में अच्छी बिक्री होती है। रेलवे स्टेशन के आउटलेट में अपेक्षकृत उससे कम बिक्री होती है। इसी तरह के आउटलेट पंडरी बस स्टैंड, नया रायपुर, मेडिकल कॉलेज, मॉल आदि में खुले तो इससे जुड़े किसानों व अन्य लोगों को भी रोजगार मिलेगा। स्वसहायता समूह को उत्पाद की कीमत पर 62 फीसद, संजीवनी को लगभग 76 फीसद बोर्ड के माध्यम से दिया जाता है।