Home News विधानसभा चुनाव: कोंडागांव में भाजपा के लिए खोयी विरासत पाने की चुनौती

विधानसभा चुनाव: कोंडागांव में भाजपा के लिए खोयी विरासत पाने की चुनौती

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छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ने लगी है. दो विधानसभा सीटों वाले कोंडागांव जिले में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधे मुकाबले की संभावना है. दोनों ही पार्टियों पर सीट बचाने और खोई सीट पाने का दबाव बना हुआ है. चुनाव की सरगर्मी बढ़ने के साथ ही अब भाजपा कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है. जिले में हो रहे विकास विकास कार्यों को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग चल रही है.

भाजपा नेत्री व पूर्व मंत्री लता उसेंडी कहती हैं कि चुनाव के समय विधायक ने जो वादे लोगों से किए थे, उसे पूरा तो कर नहीं पाए, अब भाजपा सरकार के विकास कार्यों का श्रेय लेकर वाहवाही लूटना चाहते हैं. भाजपा नेत्री के आरोप पर पलटवार करते हुए विधायक व कांग्रेस नेता मोहन मरकाम ने कहा कि दो-दो बार चुनाव जीतने के बाद भी विकास कार्य नहीं करा पाने के कारण जनता ने साल 2013 के विधानसभा चुनाव में लता उसेंडी को नकार दिया. अब वे बेवजह उन पर आरोप लगा रही हैं.

कोंडागांव विधान सभा में 1 लाख 61 हजार 818 मतदाता हैं. इनमें से 79 हजार 550 पुरुष और 82 हजार 263 महिला व 5 अन्य (थर्ड जेंडर) मतदाता हैं.

वहीं जिले की दूसरी सीट केशकाल विधानसभा क्षेत्र में कुल 1 लाख 84 हजार 650 मतदाता हैं. इनमें से 90 हजार 787 पुरुष और 93 हजार 862 महिला एवं 1 अन्य (थर्ड जेंडर) मतदाता हैं. इन मतदाताओं को साधने की कवायद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां कर रही हैं. बता दें कि साल 2003 व 2008 के चुनाव में दोनों सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी. इसके बाद पिछले चुनाव साल 2013 में दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ने अपना परचम लहराया.

कोंडागांव जिले की दोनों विधानसभा सीटों पर पुरुषों की अपेक्षा महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है और पेट्रोल-डीजल के साथ गैस सिलेंडर के दामों में हो रही वृद्धि का असर गृहणियों के बजट पर पड़ रहा है. अधिक संख्या वाली महिला वोटर कहती हैं कि महंगाई ने बजट बिगाड़ दिया है. स्थानीय निवासी निशा शर्मा, प्रतिभा शुक्ला, पूर्णिमा श्रीवास्तव सहित अन्य का कहना है कि अब हमें ऐसी सरकार चाहिए जो महिलाओं के घर का बजट बनाने और घर का खर्च चलाने में परेशानी न खड़ी करे.

कोंडागांव के वरिष्ठ पत्रकार शैलेश शुक्ला पिछले चुनाव में भाजपा की हार को जनता की नाराजगी और भीतरघात बताते हुए कहते हैं कि राजनीतिक हलचल के बाद भी वोटर के मन को भांप पाना कठिन है. यह कह पाना मुश्किल है कि वोटरों का रुझान किसकी तरफ है. वैसे बढ़ती महंगाई भाजपा को भारी पड़ सकती है. कोंडागांव में भाजपा को अपनी खोई विरासत पाने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

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