हिंडमबर्ग मामले की अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी. सुप्रीम कोर्ट अगले महीने मार्केट रेगुलेटर सेबी की ओर से दाखिल फ्रेश स्टेटस रिपोर्ट पर सुनवाई करने वाली है. इस सुनवाई के दौरान कई नए सवाल भी सामने होंगे.
इस सप्ताह अडानी-हिंडनबर्ग विवाद में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी. जिसमें सेबी पर सुप्रीम कोर्ट से महत्वपूर्ण तथ्यों को दबाने और अडानी कंपनियों द्वारा कथित स्टॉक हेरफेर पर रेवेन्यू इंटेलीजेंस डायरेक्ट्रेट के पत्र को छिपाने का आरोप लगाया गया.
25 अगस्त को, सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि उसने अडानी ग्रुप के खिलाफ दो को छोड़कर सभी आरोपों की जांच पूरी कर ली है, और ग्रुप में निवेश करने वाली विदेशी संस्थाओं के वास्तविक मालिकों के बारे में अभी भी पांच टैक्स हेवन से जानकारी का इंतजार कर रहा है.
याचिका में लगाए गए आरोप
चार याचिकाकर्ताओं में से एक अनामिका जयसवाल ने कहा कि जब अडानी ग्रुप के खिलाफ ओवर-इनवॉइसिंग मामले में जांच चल रही थी. तब डीआरआई ने 2014 में तत्कालीन सेबी अध्यक्ष को एक लेटर भेजा था. जिसमें डीआरआई ने सेबी को काफी सचेत किया था. डीआरआई ने उस समय सेबी से लेटर में कहा कि ग्रुप बिजली के कंपोनेंट के इंपोर्ट में अधिक वैल्यूएशन के तौर-तरीकों का उपयोग कर सकता है. कथित तौर पर निकाले गए पैसों का यूज शेयर बाजार में हेरफेर के लिए कर सकता है. याचिकाकर्ता ने सेबी पर अदालत के महत्वपूर्ण तथ्यों को दबाने और डीआरआई अलर्ट पर सोए रहने का आरोप लगाया.
सेबी मेंबर की बेटी से अडानी के बेटे की शादी
हलफनामे में कहा गया है कि श्री सिरिल श्रॉफ मैनेजिंग पार्टनर, सिरिल अमरचंद मंगलदास कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर सेबी की समिति के सदस्य रहे हैं, जो इनसाइडर ट्रेडिंग जैसे अपराधों को देखती है. हलफनामे में कहा गया है कि उनकी बेटी की शादी गौतम अडानी के बेटे से हुई है. याचिकाकर्ता ने कहा कि सेबी की 24 जांच रिपोर्टों में से पांच अडानी ग्रुप की कंपनियों के खिलाफ अंदरूनी व्यापार के आरोपों पर हैं.
इसका भी दिया गया हवाला
इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने पत्रकार संघ ‘संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट’ द्वारा खोजे गए दस्तावेजों का हवाला दिया. हलफनामे में कहा गया है कि मॉरीशस स्थित दो कंपनियों- इमर्जिंग इंडिया फोकस फंड (ईआईएफएफ) और ईएम रिसर्जेंट फंड (ईएमआरएफ) ने 2013 और 2018 के बीच चार अडानी कंपनियों के शेयरों में बड़ी मात्रा में निवेश और कारोबार किया था. याचिकाकर्ता ने हलफनामे में कहा कि इन दोनों कंपनियों के नाम सेबी की 13 संदिग्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेश/विदेशी संस्थाओं की सूची में हैं. सेबी उनके अंतिम लाभकारी मालिकों या आर्थिक हित वाले शेयरधारकों का पता लगाने में कामयाब नहीं हो सकी है. याचिकाकर्ता ने कहा कि सेबी द्वारा नियमों में बार-बार किए गए बदलावों से अडानी ग्रुप को फायदा हुआ है.
जनवरी में आई थी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट
इस साल जनवरी में, अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया था कि अदानी ग्रुप अकाउंटिंग फ्रॉड, स्टॉक प्राइस में हेरफेर और टैक्स हेवन के अनुचित उपयोग में शामिल है. इस रिपोर्ट के बाद शेयर बाजार में अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट शुरू हो गई थी, जिससे ग्रुप के मार्केट कैप में 150 बिलियन डॉलर कम हो गए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने दिए जांच के आरोप
इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को आरोपों पर गौर करने और अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने को कहा था. मार्च में, आरोपों के नियामक पहलुओं पर गौर करने के लिए एक अलग छह सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया गया था. जिसमें एक रिटायर्ट जज और अनुभवी बैंकर शामिल थे. उस पैनल ने मई में कहा था कि सेबी ने अब तक अपनी जांच में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला है. सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को अपनी जांच पूरी करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए 14 अगस्त की समय सीमा तय की थी. रेगुलेटर ने जांच पूरी करने के लिए 15 दिन का एक्सटेंशन मांगा था. इसने अब अपनी जांच पर एक स्टेटस रिपोर्ट पेश कर दी है. अडानी समूह ने सभी आरोपों को खारिज किया है.