Swad Ka Safarnama: देश में एक से एक मिठाई बनाई जाती है और इनको देखकर ही मुंह में पानी आना लाजिमी है. इन्हीं मिठाइयों में रसगुल्ला (बंगाली भाषा में रसोगुल्ला) भी शामिल है. गजब है यह मिष्ठान्न, चाशनी में लिपटा यह सफेद और गोल-गोल रसगुल्ला किसी के आगे पेश कर दिया जाए तो मानो उसने जिंदगी का बेहद शानदार स्वाद पा लिया हो.
स्पंजी रसगुल्ला सेहत के लिए भी लाभकारी माना जाता है. इसका सेवन स्किन की ग्लो को बढ़ाता है. ऐसा माना जाता है कि इसको खाने और इसी चाशनी पीने से पीलिया में राहत मिलती है. इस रसभरी मिठाई का इतिहास बेहद रोचक है, जिसको लेकर दो राज्यों के अपने-अपने दावे हैं.
मुंह में घुलकर तन-मन को तृप्त कर देता है
रसगुल्ला एक ऐसा मिष्ठान्न है जो ‘मिलावट’ से रहित है. दूध को फाड़कर उसक छेना बनाएं. उसे आटे की तरह गूंधे और गोल-गोल गोलिया बनाकर कुछ देर के लिए हलकी आंच पर पका लें. चमक आने पर इन्हें चाशनी में भी एक बार उबाल लें. फूल कर दोगुना हो जाएगा और मीठा भी. पेट चाहे कितना भी भरा हो, एकाध खाकर काम नहीं चलता है. जिन लोगों को मीठे से परहेज है, वे भी इसकी चाशनी निचोड़कर गप कर जाते हैं. मुंह में ऐसे घुलता है कि तन-मन वाह-वाह करने लगता है. रसगुल्ला को बंगाल की स्वीट माना जाता है, लेकिन इसकी कद्र अब देश के अलावा पूरी दुनिया में हो रही है. अब तो बड़ी-बड़ी कंपनियां टिन में पैक कर रसगुल्ले की पूरे देश में यात्रा करवा रही हैं. एक रिसर्च का कहना है कि दिपावली पर्व के दौरान रसगुल्ला की बिक्री में और मिठाइयों की अपेक्षा बिक्री लगातार बढ़ रही है.
बंगाल का है लेकिन ओडिशी भी इसे ‘अपना’ मानते हैं
रसगुल्ले का इतिहास उसकी मिठास की तरह ही मीठा, रसभरा और ‘गोल-गोल’ है. भारत सहित पूरी दुनिया मानती है कि रसोगुल्ला बंगाल का मिष्ठान्न है, लेकिन इसे अपना बनाने को लेकर ओडिशा भी काफी प्रयास कर चुका है, लेकिन पांच साल पहले मान लिया गया कि इसका ‘जन्म’ बंगाल में ही हुआ है. इस मसले को हम संक्षिप्त में बताते हैं. ओडिशा सरकार के अलावा वहां के फूड हिस्टोरियन भी मानते हैं कि रसगुल्ले का संबंध पुरी के भगवान जगन्नाथ से है, जहां 700 साल पहले यह मंदिर के रस्म का एक हिस्सा थी. उनका कहना है कि भगवान जगन्नाथ ने रथयात्रा के दौरान यह मिठाई माता लक्ष्मी को खिलाकर उन्हें मनाया था.
रसगुल्ले का सेवन भूख को कम रखता है.
दावा है कि 11वीं सदी में इसे ‘खीर मोहन’ नाम दिया गया, जो रसगुल्ले का ही एक रूप है. रसगुल्ले को लेकर बंगाल में कोई अगर-मगर नहीं है. बंगाली तो रोशोगुल्ले को अपनी धरोहर मानते हैं. उनका कहना है कि रोशोगोल्ला 1868 में कोलकाता के नबीन चन्द्र दास ने इसे विशेष तरीके से बनाया. वह कोई ऐसी मिठाई बनाना चाहते जो अनूठी हो. उन्होंने छेना की गोलियां बनाई जो टूट जाती थी. इसे बांधने के लिए उन्होंने उसमें रीठा मिलाया और तलकर उन्हें चाशनी में डालकर लोगों को पेश कर दिया. बस बन गया रोशोगुल्ला. विशेष बात यह है कि आधिकारिक तौर पर बंगाली माना जाता है.
शरीर को तुरंत एनर्जी देता है रसगुल्ला
स्वाद के मामले में ठंडा और चाशनी से भीगा रसगुल्ला नंबर वन तो है ही, शरीर के लिए भी इसे लाभकारी माना जाता है. चूंकि इसमें भरपूर प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट होता है, इसलिए यह खाते ही शरीर में तुंरत एनर्जी पैदा कर देता है. फूड एक्सपर्ट व न्यूट्रिशियन कंसलटेंट नीलांजना सिंह के अनुसार रसगुल्ला स्किन का ग्लो बढ़ाता है, साथ ही मसल्स को मजबूत भी करता है. उसका कारण यह है कि इस मिष्ठान्न में लैक्टिक एसिड नामक तत्व पाया जाता है जो स्किन की जलन को तो कम करता ही है, साथ ही उसका ग्लो भी बढ़ाता है. यानी रसगुल्ला स्किन में कुदरती तौर पर शाइनिंग प्रदान करता है.
इसमें केसीन प्रोटीन भी भरपूर होता है, जो बॉडी की मसल्स को मजबूत बनाने में मदद भी करता है. केसीन प्रोटीन की एक अन्य विशेषता है कि यह अन्य प्रोटीन की तुलना में धीरे-धीरे डाइजेस्ट होता है. इसका लाभ यह रहता है कि रसगुल्ले का सेवन भूख को कम रखता है, साथ ही शरीर व मन को संतोष भी प्रदान करता है.
इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों के लिए लाभकारी है
विशेष बात है कि पीलिया होने पर देसी इलाज के तौर पर सुबह एक रसगुल्ला और उसकी चाशनी पीने की सलाह दी जाती है. उसका कारण यह है कि पीलिया गरमी के कारण पैदा होता है, जबकि रसगुल्ले की तासीर ठंडी होती है, साथ ही इसमें कार्बोहाइड्रेट भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. रसगुल्ले को चमत्कारिक तौर पर आंखों की सेहत के लिए भी लाभकारी माना जाता है. यह आंखों की जलन को भी शांत करता है. अगर आप कमजोर महसूस कर रहे हैं तो दो-एक रसगुल्ले का सेवन कर लें. तुरंत एनर्जी मिलेगी और फ्रेश महसूस करने लगेंगे. चूंकि रसगुल्ला दूध से तैयार किए गए छेना से बनाया जाता है, इसलिए इसमें कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है, जो हड्डियों की मजबूती के लिए कारगर है. सामान्य तौर पर रसगुल्ले को खाने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, लेकिन शुगर से प्रभावित लोगों को इसके अधिक सेवन से बचना चाहिए. इसको अधिक मात्रा में खाने से लीवर फैटी हो सकता है.