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मध्य प्रदेश में अब सूखे एवं बिजली संकट की स्थिति पैदा हो रही है : शिवराज सिंह चौहान

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उज्जैन (मप्र)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि इस साल अल्प वर्षा के कारण प्रदेश में अब सूखे एवं बिजली संकट की स्थिति पैदा होने की आशंका है। चौहान ने प्रदेश में अच्छी वर्षा के लिए उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की और जनता से भी अपील की कि वे भी भगवान से अच्छी वर्षा के लिए प्रार्थना करें।

महाकाल मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, ”अल्प वर्षा के कारण मध्य प्रदेश में अब सूखे की स्थिति पैदा हो रही है। आज महाकाल महाराज की शरण में आया हूं। बाबा महाकाल से यही प्रार्थना है कि कृपा की वर्षा करें।” उन्होंने कहा, ”लगभग पूरे अगस्त माह में सूखे की स्थिति रही है और इसलिए मैं प्रार्थना करता हूं कि प्रदेश में किसानों व फसलों पर जो संकट छाया है बाबा महाकाल इससे हमें निकालें और वह हम सब पर कृपा की वर्षा करें।”

चौहान ने कहा, ”अच्छी वर्षा हो जाए, फसलें बच जाएं, किसानों का भी कल्याण हो, प्रदेश का भी कल्याण हो और देश में भी बारिश हो। इसी भाव से आज महाकाल की पूजा की है।” उन्होंने कहा, ”मैं जनता जर्नादन से भी अपील करता हूं कि आप भी अपने-अपने गांवों एवं शहरों में, जो भी परंपरा हो उसका निर्वाह करते हुए भगवान से अच्छी वर्षा के लिए प्रार्थना करें। प्रार्थना सुनी जाती है, प्रार्थना में असर होता है। सच्चे दिल से प्रार्थना की जाती है तो भगवान कृपा की वर्षा करते हैं।”

चौहान ने कहा कि आप सभी से यह भी आग्रह है कि अनावश्यक बिजली का उपयोग न करें, ताकि हम सभी जगह बिजली की आपूर्ति कर पाएं। उन्होंने कहा, ”मैं सभी प्रदेशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि इस संकट के समय में अपनी तरफ से किसान भाइयों की सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा।” चौहान ने कहा, ”मैंने कल (रविवार को) अल्प वर्षा से उत्पन्न परिस्थितियों से निपटने के लिए बैठक की है और इसमें यही निर्देश दिए हैं कि जहां-जहां से बांधों से पानी छोड़कर अभी फसलें बचाई जा सकती हैं, उन बांधों से पानी छोड़ा जाए।”

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, कम वर्षा होने के कारण प्रदेश में बिजली संकट भी पैदा हुआ है, क्योंकि इस सीजन में इतनी बिजली की जरूरत नहीं पड़ती थी, ट्यूबवेल नहीं चलते थे, किसानों के मोटर पंप नहीं चलते थे, अपने आप पानी रहता था और बांधों में पानी रहता था तो पानी से बिजली भी प्रचुर मात्रा में बनती थी।”

चौहान ने कहा, ”आम तौर पर इस समय 8,000-9,000 मेगावाट बिजली की जरूरत पड़ती थी, लेकिन अब लगभग 15,000 मेगावाट बिजली की मांग है जिसके परिणामस्वरूप मांग-आपूर्ति में अंतर हो गया है और इसलिए कुछ जगह किसानों को भी बिजली कम मिल पा रही है।” उन्होंने कहा, ”कल मैंने निर्देश दिए हैं कि जहां-जहां से बिजली मिल सकती है, वहां से बिजली लेकर हम बिजली की कमी न आने दें, ताकि किसान पंप से कुएं से अपने खेतों में सिंचाई कर सकें। थोड़ी असुविधा हो सकती है, लेकिन मैं भरपूर प्रयास कर रहा हूं कि हम जहां से भी बिजली मिल जाए, वहां से लाकर बिजली की आपूर्ति कम से कम 10 घंटे कर पाएं।