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देश में वन नेशन-वन इलेक्शन की तैयारी

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पिछले कुछ सालों में कई बार ‘एक देश, एक चुनाव’ का मुद्दा उठा है. अब इसको लेकर केंद्र सरकार ने कमेटी बना दी है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इसके अध्यक्ष होंगे. यह कमेटी ‘एक देश, एक चुनाव’ के कानूनी पहलुओं को समझेगी और आम लोगों से इस पर राय लेगी.

हाल में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गुरुवार को X (ट्विवटर) संसद का विशेष सत्र बुलाने की जानकारी दी थी. ट्वीट के मुताबिक, 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया जाएगा. सत्र में 5 बैठकें होंगी. अब चर्चा है कि इसी विशेष सत्र के दौरान केंद्र की मोदी सरकार ‘एक देश, एक चुनाव’ पर बिल ला सकती है.

लम्बे समय से इस मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष फायदे नुकसान गिनाता रहा है. इस मुद्दे पर साफतौर पर राजनीतिक दल बंटे हुए हैं. इस बिल के आने की चर्चा के बीच जानिए क्या है ‘एक देश, एक चुनाव’ का मुद्दा और इसके फायदे-नुकसान क्या हैं?

क्या है ‘एक देश-एक चुनाव’ का मुद्दा?

आसान भाषा में समझें तो इसके जरिए लोकसभा और राज्यों में विधानसभा चुनाव एक समय पर कराने की चर्चा है. यानी एक ही समय में दोनों चुनाव कराए जा सकेंगे. इसके लिए अलग से समय और पैसा दोनों की बचत की जा सकेगी. सत्ता पक्ष के नेताओं ने इसकी यही खूबी गिनाई है. दोनों चुनाव एक समय पर होने पर विपक्ष ने कुछ नुकसान भी गिनाए हैं. वर्तमान में, राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव अलग-अलग होते हैं. मौजूदा सरकार का पांच साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद या विभिन्न कारणों से इसके भंग होने पर।