Adani Group: गौतम अदाणी (Gautam Adani) के अगुवाई वाले अदाणी ग्रुप (Adani Group) की परेशानी कम होने के नाम ही नहीं ले रही है. अमेरिकी शॉर्ट सेलर द्वारा अदाणी ग्रुप के खिलाफ जारी रिपोर्ट के चलते बाजार में हुई बड़ी फजीहत उठानी पड़ी थी.
इसके बाद, अब ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) ने ग्रुप पर आरोप लगाया है कि अदाणी फैमिली के भागीदारों ने शेयरों में निवेश करने के लिए ‘अपारदर्शी’ फंड का इस्तेमाल किया है. संस्थान के इस आरोप के बाद ग्रुप के शेयर एक बार फिर से धड़ाम से गिर गए हैं. बता दें कि ये संस्थान अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड जैसे लोगों से जुड़ी हुई है.
क्या है OCCRP का आरोप
संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) के द्वारा भारतीय कॉर्पोरेट घराने अदाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गयी है. इस रिपोर्ट में संस्थान ने आरोप लगाया है कि ग्रुप के कुछ सार्वजनिक तौर पर कारोबार करने वाले कंपनियों के शेयरों में अपारदर्शी मॉरीशस फंड के माध्यम से लाखों डॉलर का निवेश किया गया, जिसने अदाणी फैमिली के कथित व्यापारिक भागीदारों की हिस्सेदारी को अस्पष्ट किया है. संस्थान के द्वारा ये दावा कई टैक्स हेवन्स और आंतरिक अदाणी ग्रुप के ईमेल से फाइलों की समीक्षा के आधार पर किया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि इनके जांच में दो ऐसे मामले सामने आए हैं. OCCRP ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि अदाणी समूह के निवेशकों ने ऑफशोर स्ट्रक्चर्स के माध्यम से अदाणी स्टॉक्स खरीदा और बेचा है.
क्यों कहा जा रहा है कि हिंडनबर्ग 2.0
अदाणी ग्रुप के लिए जारी नयी रिपोर्ट को बाजार में हिंडनबर्ग 2.0 कहा जा रहा है. अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट ने अडानी समूह पर हेराफेरी के जरिए कंपनियों के शेयरों को भगाने का आरोप लगाने वाली रिपोर्ट जारी की थी. इसके बाद अडानी समूह के स्टॉक्स में भारी गिरावट देखी जाने लगी और अगले एक महीने में अडानी समूह के स्टॉक्स 85 फीसदी तक नीचे जा फिसले. इतना ही नहीं अडानी समूह को 20,000 करोड़ रुपये के अडानी एंटरप्राइजेज के मेगा एफपीओ को लॉन्च करने के बाद वापस लेना पड़ा. हालांकि, कंपनी ने आरोपों को भ्रामक और बिना सबूत का बताया है. कंपनी का दावा था कि उसने कानूनों का अनुपालन किया है.
अदाणी ग्रुप ने किया रिपोर्ट का खंडन
सामने आयी नई रिपोर्ट का अदाणी ग्रुप ने खंडन किया है. ग्रुप की तरफ से एक आधिकारिक बयान जारी करके कहा गया है कि नई रिपोर्ट सोरोस ग्रुप के सपोर्ट वाली संगठनों की हरकत है. विदेशी मीडिया का एक वर्ग इसे हवा दे रहा है ताकि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के जिन्न को फिर से खड़ा किया जा सके. पत्रकारों के द्वारा जांच किये गए मॉरीशस फंड का नाम पहले ही हिंडनबर्ग रिपोर्ट में भी सामने आया था. ये आरोप केवल निराधार ही नहीं बल्कि, हिंडनबर्ग के आरोपों से दोहराने वाला है. ये सभी दावे एक दशक पहले बंद मामले पर आधारित है. उस वक्त DRI ने ओवर इनवॉइसिंग, विदेशों में फंड ट्रांसफर करने, रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शंस और एफपीआई के जरिए निवेश की जांच की थी. इंडिपेंडेंट एडजुकेटिंग अथॉरिटी और एक अपीलेट ट्रिब्यूनल ने इस बात की पुष्टि की थी कि कोई ओवर-वैल्यूएशन नहीं था और ट्रांजैक्शंस कानूनों के मुताबिक थे.
अदाणी स्टॉक में बड़ी गिरावट
नई रिपोर्ट के आने के बाद अदाणी ग्रुप के शेयर धड़ाम से गिर गए. सुबह 10.30 से 11 बजे के आसपास तक अदाणी एंटरप्राइजेज एनएसई पर 2.06 फीसदी गिरकर 2,461.45 रुपये प्रति शेयर पर, जबकि अदाणी ग्रीन एनर्जी के शेयर 2.65 फीसदी गिरकर 944.90 रुपये प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा था. अदाणी पोर्ट 1.52 फीसदी गिरावट के साथ 806.55 रुपये, अदाणी पावर 2.77 फीसदी गिरकर 319.30 रुपये, अदाणी टोटल गैस 2.08 फीसदी गिरकर 638.90 रुपये, अदाणी ट्रांसमिशन 2.84 फीसदी गिरकर 817.85 रुपये, अदाणी विल्मर 1.29 फीसदी गिरकर 364.20 रुपये, अंबुजा सीमेंट 1.28 फीसदी गिरकर 438.35 रुपये, एनडीटीवी 0.91 फीसदी गिरकर 217.10 रुपये और एसीसी 1.35 फीसदी गिरकर 1,973.50 रुपये पर कारोबार कर रहा था.
हिंडनबर्ग से अडानी समूह को 100 बिलियन डॉलर का हुआ था नुकसान
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के स्टॉक्स के वैल्यूएशन में 100 बिलियन डॉलर की कमी आ गई थी. हालांकि, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था. रिपोर्ट के अनुसार सेबी ने कहा कि उसके द्वारा 24 मामलों में से 22 की जांच पूरी हो गयी है. जिन दो मामलों में अंतरिम रिपोर्ट सौंपा गया है उसमें अडानी समूह के 13 विदेशी एनटिटी यानि इकाईयों को लेकर जांच की जा रही है. हालांकि, सेबी के द्वारा अभी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है. मगर, बाजार के जानकार बताते हैं कि वर्तमान में जो रिपोर्ट के मुताबिक अडानी समूह की तरफ से उल्लंघन का मामला टेक्निकल जैसा है जिसमें जांच पूरी होने के बाद मॉनिटरी पेनल्टी लगाया जा सकता है.