कोरबा जिला जशपुर के तपकरा के बाद प्रदेश का दूसरा नागलोक बन गया है.
पिछले कुछ दिनों में रेस्क्यू टीम ने ऐसी-ऐसी जगहों से सांपों को रेस्क्यू किया है जहां से आम लोग सोच भी नहीं सकते. स्थिति ये है कि रेस्क्यू टीम को सुबह से शाम तक करीब 15 फोन सांप पकड़ने के लिए आ रहे और सभी कॉल शहरी इलाके के ही हैं.
खरमोरा निवासी मेहरा परिवार के घर के मुख्य दरवाजे से पहले लोहे का चैनल गेट पर कोबरा नाग लटका हुआ था. सुबह जैसे ही परिवार ने दरवाजा खोला तो सांप ने फन फैला दिया. टीम ने रेस्क्यू कर उसे बाहर निकाला. कोसाबाड़ी इलाके में रहने वाले मिश्रा परिवार के घर के बरामदे में रखे एक सोफे में सांप घुस गया था. टीम जब रेस्क्यू करने पहुंची तो सोफे के भीतर चुहे भी थे, जिन्हें खाने के लिए सांप सोफे में घुसा था.
बरमपुर में साथ ही एक ही रात में करीब आधा दर्जन इलाकों से छह सांपों को रेस्क्यू कर टीम ने पकड़ा था. चंद्रनगर जटराज गांव में रहने वाले हिमांशु पटेल रात में दो बजे पानी पीने के लिए किचन में गए तो उनकी नजर फ्रीज के नीचे एक छिपकली की पुछ पर पड़ी, नीचे देखा तो गुस्सैल कोबरा था. टीम ने पहुंचकर सांप को बाहर निकाला. पर्याप्त भोजन और प्रतिकूल वातावरण के चलते कोरबा में किंग कोबरा जैसे विलुप्त होने वाले सांपो की संख्या बढ़ रही है.
कोरबा वन मंडल के एसडीओ आशीष खेलकर की मानें तो पिछले एक साल में 800 से अधिक सांपों का रेस्क्यू किया गया, जिसमें किंग कोबरा, अजगर सहित 10 से अधिक प्रजातियों के सांप कोरबा में मौजूद है. शहरी क्षेत्रों में सांपों के पहुंचने की वजह अध्ययन में पाया गया की चूहों की संख्या अधिक है और सांप चूहों की तलाश में पहुंच रहे है. पसरखेत रेंज और लेमरू रेंज में अब तक 8 से अधिक किंग कोबरा पाए गए हैं.
इधर शासकीय मेडिकल कॉलेज संबंद्ध जिला अस्पताल में हर दिन सर्पदंश के दो-तीन मामले आ रहे हैं. जहरीले सांपों के काटने के मामले अधिक हैं. सीएमएचओ डॉ. एस एन केसरी ने बताया कि सांप काटने के बाद झाड़फूक के चक्कर में समय न गंवाए और तत्काल मेडिकल अस्पताल आए. मेडिकल अस्पताल में एंटी स्नेक वेनम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है.
वन विभाग और वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू टीम के सदस्य जितेन्द्र सारथी ने बताया कि सांप दिखने पर फोन करें. खुद सुरक्षित जगह पर रहें और सांप पर नजर बनाए रखें. इस बार स्टॉक में करीब 800 वेनम उपलब्ध है. कई ऐसे प्रजाति के सांप है, जिनके काटने के बाद तत्काल असर नहीं दिखता.
ऐसे में लोगों को लगता है कि सांप जहरीला नहीं होगा, लेकिन ऐसे सांपों के काटने के बाद एकाएक असर दिखने लगता है. बारिश के मौसम में इसलिए लोग सचेत रहे. विशेषकर वह जिनके मकान भू तल पर है और आसपास पेड़-पौधे या फिर जलस्त्रोत हैं. उनके घरों में सांप घुसने के मामले ज्यादा आ रहे हैं. वन विभाग और वाइल्ड लाइफ टीम के 12 माह 24 घंटे सक्रिय रहने की वजह से जहां एक ओर सांपों की जान बच रही है वहीं लोगो की जान खतरे में आने से बच रही है.