बारिश शुरू होने के साथ ही खेती की तैयारियों में जुटे छोटे किसानों को यूरिया, खाद के लिए जूझना पड़ रहा है.
केसीसी वाले बड़े किसानों को भी सहकारी समितियों से ऋण पर खाद और बीज उपलब्ध हो जा रहा है, मगर बगैर पंजीयन वाले छोटे किसान खाद और बीज के लिए निजी दुकानों पर निर्भर होते हैं.
बताया जा रहा है कि निजी दुकानों में आवंटन कम होने अथवा कालाबाजारी की वजह से नगद राशि दे खरीदी करने वाले किसानों को भटकना पड़ रहा है. पंजीयन वाले किसानों की भीड़ सहकारी समितियों में उमड़ रही है, जबकि छोटे किसान निजी दुकानों से खाली हाथ मायुस लौट रहे हैं. सरगुजा अम्बिकापुर शहर के अधिकांश निजी बीज और कीटनाशक दुकानों में छोटे किसानों की भीड़ बनी हुई है.
बताया जा रहा है कि शासन की गाइडलाइन के तहत सहकारी समितियों को 60 और निजी दुकानों को 40 प्रतिशत खाद आबंटन किए जाने का प्रावधान किया गया है, मगर निजी दुकानों में खाद की कमी बताई जा रही है. छोटे किसानों का कहना है कि निजी दुकानों में उन्हें यूरिया खाद नहीं मिल पा रहा है. दुकानदारों के द्वारा यह कहा जाता है कि एजेंसी से उन्हें आवंटन ही नहीं मिला है. किसानों के द्वारा आरोप लगाया गया है कि निजी दुकानदारों के द्वारा यूरिया खाद की अभी से कालाबाजारी शुरू कर दी गई है. कृत्रिम की स्थिति बनाई जा रही है.
सहकारी समिति खैरवार में पॉस मशीन को अद्यतन रखे जाने का अवलोकन किया.
उन्होंने स्वयं प्रक्रिया कर पॉस मशीन संचालन की जांच की. उन्होंने कहा कि उर्वरक की पॉस मशीन में और भौतिक रूप से उपलब्धता समान रहे, इसके लिए रिकॉर्ड नियमित रूप से अद्यतन रहें, इसमें किसी तरह की लापरवाही ना हो.
निजी उर्वरक विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया और शासन के निर्देशानुसार सभी कृषकों को सही मूल्य में नियमानुसार उर्वरक वितरण के निर्देश दिए.
सहकारी समिति में किसानों से सीधे संवाद कर उन्हें खाद, बीज और उर्वरक की उपलब्धता के बारे में जानकारी दी. उन्होंने समितियों और निजी उर्वरक विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों में स्वयं भौतिक रूप से स्टॉक का अवलोकन किया और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए.