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मोदी सरकार के वो पांच काम, जिनसे ग्लोबल इकोनॉमी में हो रहा है भारत का नाम

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जून का महीना भारत के लिए कई कारणों से काफी अहम है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी अमेरिका का दौरा करेंगे. अमेरिकी संसद को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ऐसे देश के नेता के तौर पर जा रहे हैं, जिसकी जीडीपी दुनिया में सबसे तेज है.

जहां महंगाई पिछले तीन महीनों से लगातार कम हो रही है और 2 साल के लोअर लेवल पर है. सबसे अहम बात उनके देश की इकोनॉमी में मंदी का कोई साया नहीं है.

दुनिया के इकोनॉमिस्टों का सवाल यहीं से शुरू होता है. आखिर मोदी सरकार ने देश को ऐसा कौन सा अर्थनीति का पाठ पढ़ाया जिसकी वजह से भारत की इकोनॉमी की रफ्तार में तेजी बनी हुई है. नौकरियां उस तेजी के साथ नहीं जा रही है, जितनी स्पीड अमेरिका और यूरोप में है. भारत का बैंकिंग सिस्टम इतना मजबूत कैसे है, जब अमेरिका और यूरोप के बड़े-बड़े बैंक डूब रहे हैं? आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर देश की मोदी सरकार ने ऐसा कौन ‘पंच’ लगाया, जिसकी वजह से भारत ग्लोबल इकोनॉमी का ‘सूरमा’ बनता हुआ दिखाई दे रहा है.

जीएसटी ने बदला खेल

करीब 6 साल पहले जीएसटी को देश में लागू किया गया था. भले ही शुरुआती सालों में इसको लेकर विपक्ष और आम जनता की ओर से आलोचना झेलनी पड़ी हो, लेकिन मौजूदा समय में देश की इकोनॉमी को चलाने में इसका अहम योगदान है. महीनों से जीएसटी कलेक्शन 1.40 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा देखने को मिल रहा है. वहीं बीते दो महीनों से यह कलेक्शन 1.50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. दो महीनों में जीएसटी से कुल कलेक्शन 3.40 लाख करोड़ रुपये के आसपास पहुंच चुका है. अगर स्पीड ऐसी ही रहती है तो पूरे वित्त वर्ष में जीएसटी कलेक्शन 17 लाख करोड़ रुपये से लेकर 20 लाख करोड़ रुपये तक बन सकता है. देश के सालाना बजट का 50 फीसदी हिस्से की कमाई जीएसटी से हो सकती है.

वैसे अभी भी जीएसटी को लेकर लगातार सुधार देखने को मिल रहे हैं. जून के महीने में जीएसटी की मीटिंग हाफ सेंचुरी लगाने वाली है और इस मीटिंग में कई अहम मामलों में फैसले हो सकते है, जिसमें ऑनलाइन गेमिंग भी शामिल है. इसका मतलब है कि देश में आने वाले दिनों में काफी कुछ टैक्स के दायरे में आएगा और देश की कमाई में इजाफा होगा.

पीएलआई स्कीम ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को दिया बूस्ट

बीते कुछ समय से देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बड़ा उछाल देखने को मिला है. मई का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 31 महीने के हाई पर था. इसका बड़ा कारण है पीएलआई स्कीम. जिसकी वजह से एप्पल से लेकर टेस्ला तक को भारत का मैन्युफैक्चरिंग करने पर मजबूर होना पड़ा. इस स्कीम से देश में प्रोडक्शन बढऩे के साथ रोजगार में भी इजाफा देखने को मिला है. विदेशी कंपनियों की भरमार देखने को मिल रही है. देश के अलग-अलग हिस्सों में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगाई जा रही हैं. देश को दुनिया के नक्शे पर सेमीकंडक्टर मेकर बनाने के लिए 10 बिलियन डॉलर का इंसेंटिव दिया है. इसके अलावा दूसरे सेक्टर्स में भी मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए इंसेंटिंव के ऐलान किए जा रहे हैं.

यूपीआई ने बदला देश में पेमेंट करने का तरीका

देश की जीडीपी और इकोनॉमी को बढ़ाने के लिए यूपीआई पेमेंट सिस्टम का अहम योगदान रहा है. देश में पेमेंट करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है और इसको लेकर भी लगातार पॉजिटिव रिफॉर्म देखने को मिल रहे हैं. यूपी ट्रांजेक्शन के आंकड़ों को देखें तो मई के महीने में वैल्यू के लिहाज से यूपीआई ट्रांजेक्शन 14.3 ट्रिलियन रुपये का देखने को मिला. जबकि वॉल्यूम के लिहाज से देखें को 9.4 बिलियन रहा जो अप्रैल के मुकाबले 6 फीसदी ज्यादा था. इसके अलावा आईएमपीएस और आरटीजीएस में भी मामूली तेजी देखने को मिली है. मतलब साफ है कि आम लोग कैश ट्रांजेक्शन के साथ ऑनलाइन या यूं कहें कि डिजिटल ट्रांजेक्शन की ओर से भी मूव कर चुके हैं जोकि देश की इकोनॉमी के लिए काफी बेहतर संकेत हैं.

गतिशक्ति स्कीम दे रही इकोनॉमी को रफ्तार

मोदी सरकार ने अक्टूबर 2021 में पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान लॉन्च किया था. 100 लाख करोड़ रुपये की मेगा योजना से कनेक्टिविटी में सुधार करने वाले इंफ्रस्ट्रक्चर के निर्माण से बिजनेस में लॉजिस्टिक एफिशिएंसी में सुधार होने की उम्मीद है. 2040 तक 20 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने के भारत के टारगेट को पूरा करने में अहम योगदान करने वाले इस मास्टर प्लान से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे. लॉजिस्टिक कॉस्ट में कमी देखने को मिलेगी, सप्लाई चेन में सुधार देखने को मिलेगा और लोकल प्रोडक्ट्स को ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धी बनाने की उम्मीद है.

बैंकिंग सेक्टर में हुए अहम बदलाव

मोदी शासन में भारत का बैंकिंग सेक्टर सबसे बड़े बेनिफिशियरी में से एक रहा है. उसका कारण भी है. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में देश के सभी बैंक एनपीए से ग्रस्त थे, जिन्हें बाहर निकालने के लिए मोदी सरकार के सामने बड़ी चुनौती थी. इसीलिए मोदी सरकार को बैंकिंग सेक्टर को ठीक करने के लिए चार आर यानी रिकॉग्निशन, रिकैपिटलाइजेशन, रिजॉल्यूशन और रिफॉर्म का फॉर्मूला देना पड़ा. इसके बाद सरकार ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड को सामने रखा. जिससे बैंकों को अपने कर्ज की वसूली में मदद मिली. बैंकों को और मजबूत करने के लिए कैपिटल दिया. इन तमाम सुधारों की वजह से वित्त वर्ष 2023 तक 2 फीसदी पर आ गया. दूसरी ओर सरकारी बैंको को मजबूत बनाने के लिए बैंकों विलय भी किया गया और कुछ बैंको को प्राइवेट करने की योजना भी बना रही है.