Dairy War in MP: दक्षिण भारत के राज्यों कर्नाटक और तमिलनाडु के बाद अब मध्य प्रदेश में डेयरी उद्योग में घमासान शुरू हुआ है. गुजरात की कंपनी अमूल ने मध्य प्रदेश की कंपनी सांची को कड़ी चुनौती दी है.
भोपाल: दक्षिण भारत के राज्यों कर्नाटक और तमिलनाडु के बाद डेयरी उद्योग में मध्य प्रदेश में अब घमासान शुरू हो गया है. कांग्रेस ने भाजपा की अगुवाई वाली सीएम शिवराज चौहान की सरकार पर गुजरात की कंपनी अमूल को बढ़ावा देने और सांची को कम तरजीह देने का आरोप लगाया है. आरोप है कि सरकार सांची की तुलना में अमूल को ज्यादा सुविधाएं दे रही हैं.
शिवराज चौहान की सरकार ने विरोधी दलों के इस आरोप को खारिज कर दिया है, लेकिन मध्य प्रदेश में चुनाव के मद्देनजर डेयरी उद्योग में घमासान निश्चित रूप से एक चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है.
आरोप है कि भाजपा की सरकार सांची ब्रांड को समाप्त करने की कोशिश कर रही है और अमूल का ज्यादा सुविधाएं दे रही है. वहीं किसान जो पहले सांची को देध बेचते थे और अब अमूल को दूध बचने लगे हैं. इससे सांची पर संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं.
मुगलिया हाट गांव के किसानों का दावा है कि उन्होंने सांची को अपना दूध बेचना बंद कर दिया है, क्योंकि सांची की तुलना में अमूल दूध की ज्यादा कीमत दे रहा है. सांची 30 से 32 रुपए प्रति लीटर दूध की कीमत देती है, जबकि अमूल की कीमत 40 से 45 रुपए प्रति लीटर है.
दो दशकों से अधिक समय से सांची को दूध बेचने वाले किसान प्रह्लाद सेन, जो पहले सांची को दूध देते थे और अमूल को दूध देना शुरू कर दिया है. केवल प्रह्लाद सेन ही ऐसे किसान नहीं हैं, जो सांची को पहले दूध देते थे और अब अमूल को दूध दे रहे हैं.
डेयरी को लेकर विपक्ष ने सरकार पर बोला हमला
सांची से अमूल को किसानों द्वारा दूध देने के कारण मुगलिया हाट गांव में सांची दुग्ध संघ संग्रह केंद्र में कभी काफी भीड़ रहती थी, लेकिन अब लगभग खाली पड़ा है. किसानों का आरोप है कि सांची से पैसे कम मिल रहे हैं.
पूर्व सहकारिता मंत्री और विपक्ष के नेता डॉ. गोविंद सिंह का कहना है कि साजिश के तहत मध्य प्रदेश सरकार सांची की तुलना में अमूल को बढ़ावा दे रही है, ताकि सांची को खत्म किया जाए और सांची का अस्तित्व खत्म हो जाये. यह राज्य की संस्था के लिए ठीक नहीं हैं.
दूसरी ओर, भाजपा के वरिष्ठ नेता और सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने डॉ गोविंद सिंह के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. सांची एक लाभदायक संस्था है और सांची में दिनों दिन लाभ बढ़ रहे हैं. सिंह का आरोप पूरी तरह से निराधार है.
डॉ गोविंद सिह के आरोप को भले ही अरविंद सिंह भदौरिया खारिज कर रहे हैं, लेकिन जिस तरह से किसान सांची की जगह अमूल को दूध दे रहे हैं और जल्द मध्य प्रदेश में चुनाव हैं. इससे यह मुद्दा गरमाता दिख रहा है.