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विदेश में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल होगा महंगा, देना पड़ेगा 20 फ़ीसदी का टैक्स- प्रेस रिव्यू…

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भारत सरकार ने इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड पर विदेश में किए गए ख़र्च को अब लिबरलाइज़्ड रेमिटेन्स स्कीम के तहत लाने का फ़ैसला किया है.

इसके तहत देश के बाहर इस्तेमाल किए गए क्रेडिट कार्ड पर अब 20 फ़ीसदी का टीसीएस (टैक्स कलेक्टेड ऐट सोर्स) लगाया जाएगा.

इस ख़बर को दिल्ली से छपने वाले कई अख़बारों ने प्रमुखता से छापा है. आज प्रेस रिव्यू में शुरुआत करते हैं इसी ख़बर से.

घूमने के लिए विदेश जाने वाले लोग अक्सर तय सीमा (ढाई लाख डॉलर) से अधिक की ख़रीदारी के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि इससे होने वाला ख़र्च एलआरसी के दायरे में नहीं आता. लेकिन नए नियमों के आने के बाद अब उन्हें इस पर सरकार को टैक्स देना पड़ेगा.

हालांकि वित्त मंत्रालय ने कहा है कि मेडिकल और शिक्षा से जुड़े खर्च इसमें शामिल नहीं होंगे.

अख़बार के अनुसार, इसके बाद ये फ़ैसला रिज़र्व बैंक की सलाह पर लिया गया है.

इससे जुड़ी एक रिपोर्ट हिन्दुस्तान टाइम्स ने भी छापी है जिसमें कहा गया है कि इसका सीधा असर विदेश भ्रमण पर जाने वाले लोगों पर पड़ेगा.

अख़बार लिख़ता है कि इसके बाद अब विदेश में होने वाले हर ख़र्च के लिए क्रेडिट कार्ड कंपनियां 20 फ़ीसदी का टैक्स काट लेंगी जो वो सरकार के पास जमा कर देंगी.

यानी विदेश जाने से पहले होटल बुकिंग हो या कार की बुकिंग, विदेशी वेबसाइट से सामान की ख़रीदारी हो या फिर विदेश भ्रमण के दौरान कॉफ़ी या नाश्ते पर क्रेडिट कार्ड से हुआ ख़र्च, इन सभी लेन-देन में क्रेडिट कार्ड कंपनियां टैक्स पहले से काट लेंगी.

बाद में तय सीमा के भीतर हुए ख़र्च को आप सरकार से क्लेम कर सकेंगे.

जानकारों के हवाले से अख़बार ने लिखा है कि बाद में आपको आपके पैसे तो मिल जाएंगे, विदेश भ्रमण की प्लानिंग के दौरान ही आपका ख़र्च बढ़ चुका होगा.

अख़बार लिखता है कि लोग क्रेडिट कार्ड के ज़रिए होने वाले ऑनलाइन पेमेन्ट करने से हिचकेंगे, हो सकता है कि वो ख़रीदारी के लिए कैश में विदेशी मुद्रा अपने पास रखना चाहें. अख़बार ये भी लिखता है कि इससे अवैध हवाला चैनलों का इस्तेमाल बढ़ सकता है.

मंगलवार को सरकार ने फ़ॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेन्ट रूल्स के नए नियम जारी किए हैं, जिसमें क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल से होने वाले खर्च को एलआरएस के दायरे से दूर रखने वाले हिस्से को हटा दिया गया है.

भारत लाया जाए कोहिनूर- संसदीय कमिटी की रिपोर्ट

धरोहरों की चोरी से जुड़े मामलों पर संसद की स्टैन्डिंग कमिटी ने कहा है कि कोहिनूर हीरे को वापस लाने में किसी तरह की रुकावट नहीं होनी चाहिए.

ये हीरा 1850 के दशक की शुरूआत में भारत से ले जाया गया था और अब ब्रिटेन के सम्राट के ताज में लगा हुआ है.

द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, वाईआरएस कांग्रेस के सांसद विजय साई रेड्डी के नेतृत्व में संसदीय कमिटी ने कोहिनूर की वापसी को लेकर कई लोगों से बात की है.

अख़बार के अनुसार, संस्कृति मंत्रालय के एक अधिकारी ने कमिटी को बताया कि सरकार चोरी हुई देश की धरोहरों को वापस लाने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन कोहिनूर का मामला दूसरों से अलग है क्योंकि ये चोरी नहीं हुआ था, बल्कि ख़ुद महाराजा दलीप सिंह ने 1894 में हुए शांति समझौते के दौरान ये हीरा ब्रितानी शासकों को दे दिया था.

अलीगढ़: मंदिर में प्रवेश के लिए ड्रेस कोड लागू

उत्तर प्रदेश के मुज़्ज़फ्फरपुर के बालाजी धाम मंदिर में दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए नया ड्रेस कोड लागू किया गया है. साथ ही मंदिर में ग़ैर-हिन्दू के प्रवेश पर पाबंदी भी लगाई गई है.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार मंदिर में जीन्स, मिनी स्कर्ट, बरमूडा, मोज़े, चमड़े की बेल्ट पहनकर आने पर रोक लगा दी गई है. मंगलवार को इससे संबंधित पोस्टर मंदिर परिसर में लगाए गए हैं.

कुछ वक्त बाद ये पोस्टर वहां से हटा लिए गए थे. बाद में मंदिर की प्रबंधक कमिटी ने कहा है कि साफ़ और बड़े-बड़ेअक्षरों में पोस्टर बना कर फिर लगाए जाएंगे.

अलीगढ़ मंदिर के पुजारी योगी कौशलनाथ ने अख़बार से कहा कि प्रबंधक कमिटी ने मंदिर में ग़ैर-हिन्दू लोगों के प्रवेश पर रोक लगाने का फ़ैसला किया है.

उन्होंने कहा कि ‘ईश्वर की पूजा शालीन कपड़ों में की जानी चाहिए, न कि ऐसे कपड़ों में जिससे दूसरे श्रद्धालुओं का ध्यान आपकी तरफ आकर्षित हो.’

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बंगाल में दिखाई जाएगी ‘द केरला स्टोरी’

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने ये कहते हुए विवादित फ़िल्म ‘द केरला स्टोरी’ को पश्चिम बंगाल में दिखाने पर लगी रोक हटा दी और कहा कि एक डिस्क्लेमर के साथ इसे दिखाया जा सकता है.

द टेलीग्राफ़ ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि कोर्ट ने फ़िल्म के प्रोड्यूसरों से कहा है कि वो इस फ़िल्म में ये डिस्क्लेमर जोड़ें कि ये “एक काल्पनिक कहानी है” और इस दावे की पुष्टि के लिए कोई पुख़्ता सबूत नहीं मिले हैं कि 32,000 हिंदू और ईसाई लड़कियों का धर्म परिवर्तन कर उन्हें मुसलमान बनाया गया.

चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने फ़िल्म पर जो रोक लगाई है उसमें कई ख़ामियां हैं.

कोर्ट ने कहा कि डिस्क्लेमर फ़िल्म की शुरुआत में लगाया जाना चाहिए. कोर्ट ने इसके लिए 20 मई के शाम पांच बजे तक की समयसीमा दी है.