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Dantewada: भोजन की व्यवस्था कर नक्सलियों ने उड़ाई थी डीआरजी जवानो की गाड़ी!

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दंतेवाड़ा। जिले के अरनपुर ब्लास्ट में जिस में दस जवान व एक सिविल वाहन के ड्राइवर बलिदान हो गए थे।इस वारदात को अंजाम देने के लिए नक्सलियों ने चक्रव्हियु जैसी रचना रची थी।नक्सली घटना स्थल के पास पूरी तैयारी के साथ बैठे थे।ब्लास्ट स्थल से कुछ दूरी पर झोले में टिफिन के डब्बे आज भी पड़े हुए हैं।

इस झोले में दो टिफिन में भोजन भरा हुआ है।

अब ये भोजन नक्सली लेकर आए थे या आमा तिहार के लिए जो बच्चे नाका लगाए थे इसकी पुष्टि नही हो पाई है।पर अक्सर देखा गया है।नक्सली जब ऐम्बुस में बैठते हैं। तो खाने पीने का सामान भी अपने साथ रखते हैं।घटना के बाद से टिफिन अभी भी जंगलो में पड़े हुए हैं।

आमा तिहार के नाका का भी बदला गया था स्थल

नक्सलियों ने ब्लास्ट में फंसाने गाड़ी की रफ्तार धीमे करने अचेली तिराहा में लगे नाके को घटना स्थल से पचास मीटर पर लगवाया था।पहले जिस जगह नाका लगा था।वंहा पेड़ की छांव थी।पर ब्लास्ट स्थल के पास जंहा नाका लगाया गया था।उस जगह पर कोई पेड़ नही था।सुनियोजित तरीके से नाका घटना स्थल के पास लगाया गया था।

हमला डीआरजी जवानो पर करना था, इसलिए पूरी तैयारी से आए थे नक्सली

दंतेवाड़ा में जब से डीआरजी का गठन हुआ है।तब से लगातार जवानो को कामयाबी मिल रही है।डीआरजी जवानो के द्वारा लगातार नक्सलियों को बैक फुट पर ढकेला जा रहा है।नक्सलियों को डीआरजी जवानो से आमने।सामने की लड़ाई में हमेशा मुह की खानी पड़ी है।अरनपुर ब्लास्ट में निशाने पर डीआरजी जवान थे इसलिए नक्सली घंटो पहले से खाने पीने की व्यवस्था के साथ ऐम्बुस पर बैठे थे।

ब्लास्ट की जद में आ सकते थे बच्चे

नक्सलियों ने अरनपुर सड़क पर जिस जगह ब्लास्ट किया था।वंही थोड़ी दूरी पर ही बच्चो का नाका लगा था।ब्लास्ट में वाहन के टुकड़े पचास से सौ मीटर थे हवा में उड़े थे।ऐसे में इस ब्लास्ट की चपेट में मासूम बच्चे भी आ सकते थे।जिनका स्तेमाल नक्सलियों ने जवानो पर हमला करने के लिए किया था।

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