छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में हाथियों के आतंक से त्रस्त ग्रामीणों ने वन विभाग से हाथियों द्वारा इंसानों की मौत पर 30 लाख रुपए का मुआवजा और घर के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है. साथ ही फसल मुआवजा की राशि को बढ़ाकर प्रति एकड़ 30 हजार रुपए करने और मनरेगा दर पर गांव की रखवाली के लिए गांव में 30 युवकों की टीम बनाकर देने की मांग की है. मालूम हो कि जंगली हाथियों के आतंक से पूरा कोरबा थर्राया हुआ है. इसमें क्या जन और क्या धन, हाथी सभी को नुकसान पहुंचा रहे हैं. आलम यह है कि हाथियों के आतंक से गांव के लोग रातों को ठीक से सो नहीं पा रहे हैं. रात भर उन्हें जागकर अपने घर-खेत की रक्षा करनी पड़ रही है.
दरअसल, हाथी कभी इनके कच्चे फसलों को खेत में रौंद देते हैं, तो कभी इनके मवेशियों को अपने पैरों तले कुचल देते हैं. कभी कभी तो इंसान भी इनके पैरों तले रौंद दिए जाते हैं. इस तरह कोई भी इनके आतंक से अछूता नहीं है. इन सब समस्याओं से घिरे कोरबा विकासखंड के अलग-अलग गांव के लोग कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. उन्होंने जन, धन और अपने मवेशियों की सुरक्षा को लेकर कलेक्टर से गुहार लगाई है.
इधर, पूछे जाने पर गांव वालों ने मीडिया को बताया कि वे मेहनत कर खेतों में फसल लगाते हैं, जिसे हाथी पैरों तले रौंद दे रहे हैं. वहीं रातों को गांव में घुसकर उनके मकानों को ध्वस्त कर दे रहे हैं. इतना ही बाड़ियों में बंधी मवेशियों को भी मार रहे हैं. बारिश के बावजूद उन्हें घर की छत पर रात बितानी पड़ रही है.
लिहाजा, लोगों की शिकायत है कि वन अमला ग्रामीणों को हाथियों से बचाने और हाथियों को जंगल में खदेड़ने में नाकाम साबित हो रहे हैं.