कोंडागांव। herbal gulal Holi 2023: होली आने में बस कुछ दिनों का समय रह गया है। वहीं लोग होली को लेकर तैयारियों में लगे हुए हैं। सबसे ज्यादा होली के रंग में डूबने को तैयार हैं और अच्छे हर्बल रंगों की ही खरीदारी कर रहे हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के ग्राम आलोर के झाटीबंध पारा स्थित मां शीतला स्व-सहायता समूह की महिलाएं हर्बल गुलाल बना कर बेच रही है। हर्बल गुलाल द्वारा वे हानिकारक केमिकल युक्त गुलाल से त्वचा जनित रोगों के बचाव करने सहित पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रही हैं। बता दें हर्बल गुलाल बनाने की आदिवासी महिलाओं के नवाचारी प्रयोग को राज्यपाल अनुसुइया उइके ने भी सराहा था और महिलाओं को सम्मानित भी किया गया था।
3 साल पहले हर्बल गुलाल बनाने की शुरुआत
दरअसल, बाजारों में बिकने वाले रासायनिक गुलालों से होने वाले दुष्प्रभावों जैसे त्वचा में एलर्जी, अस्थमा, सिर दर्द, खुजली एवं इंफेक्शन आदि से बचाव के लिए मां शीतला स्व सहायता समूह झाटीबंध की आदिवासी महिलाओं ने लगभग 3 साल पहले हर्बल गुलाल बनाने की शुरुआत की थी। इसके लिए महिलाओं ने कृषि विज्ञान केंद्र कोंडागांव के वैज्ञानिकों से तकनीक मार्ग दर्शन भी लिया था। वहीं आज ये महिलाएं पलास, धवई, सिन्दूर, मेहन्दी, चुकन्दर, लाल भाजी, पालक, हल्दी एवं गुलाब जल से हर्बल गुलाल बना रही हैं।
समूह की सभी 10 महिलाएं बनाती है गुलाल
महिलाओं ने बताया विगत 3 वर्षों से हर्बल गुलाल बनाकर बेचने का कार्य कर रही हैं, जिसे लोगों द्वारा पसंद भी किया जा रहा। हर्बल उत्पाद त्वचा को शीतलता प्रदान करते हुए प्राकृतिक वस्तुओं से बनने के कारण त्वचा के लिए गुणकारी भी होता है। गुलाल बनाने के लिए समूह की सभी 10 महिलाएं मिलकर आवश्यक वनोपज संग्रहित करते हैं। महिलाएं जिला मुख्यालय सहित जगह-जगह स्टाल लगाकर गुलाल का विक्रय करती हैं। वहीं बुधवार को जिला कार्यालय में लगभग 5000 रूपए का गुलाल विक्रय किया है। आगामी होली को देखते हुए वे और गुलाल विक्रय कर रहे हैं।