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राष्ट्रपति के अभिभाषण मामले पर भाजपा बोली- आदिवासी हितैषी नीतियों से बौखलाई कांग्रेस, विपक्ष ने किया पलटवार

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रायपुर (राज्य ब्यूरो)। प्रदेश भाजपा महामंत्री व राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि कांग्रेस चाहती ही नहीं कि आदिवासी समाज का कोई व्यक्ति देश के सर्वोच्च पद पर आसीन रहे।

कांग्रेस के नेता बार-बार राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद पर टिप्पणी कर रहे हैं। आदिवासियों से घृणा के चलते कांग्रेस के सांसद खुद को राष्ट्रपति पर भी टिप्पणी करने से रोक नहीं पाए।

इतिहास में पहली बार बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर आधारहीन टिप्पणी करने की धृष्टता कांग्रेस ने की।

राजधानी में आयोजित पत्रकार वार्ता में केदार कश्यप ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब राष्ट्रपति प्रत्याशी के रूप में द्रौपदी मुर्मु समर्थन मांगने छत्तीसगढ़ आई तो किसी भी कांग्रेसी नेता ने उनसे मिलने की जरूरत भी महसूस नहीं की।

पत्रकारवार्ता में प्रदेश प्रवक्ता देवलाल ठाकुर, पूर्व विधायक भोजराज नाग, प्रदेश मंत्री ओजस्वी मंडावी, राजाराम तोड़ेम, सत्यानंद राठिया आदि मौजूद रहे। कश्यप ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने आदिवासी समाज के बजट को ऐतिहासिक रूप से बढ़ाया है,

इससे कांग्रेस के पेट में दर्द हो रहा है। मोदी सरकार ने आदिवासी समाज के उत्थान के लिए मिनिस्ट्री आफ ट्राइबल अफेयर्स के बजट को पिछले वर्ष की तुलना में 70 प्रतिशत बढ़ा दिया। कांग्रेस की सरकार में वर्ष 2013-14 से तुलना करें तो आदिवासी वर्ग के लिए बजट को 190 फीसदी बढ़ाया गया।

जबकि कांग्रेस सरकार इसे प्रतिवर्ष पांच फीसदी भी नहीं बढ़ाती थी। केंद्र सरकार ने मात्रात्मक त्रुटियों को सुधारकर लाखों जनजाति समुदाय के लोगों को इसका अधिकार दिया है।

मिनिस्ट्री आफ ट्राइबल अफेयर्स का बजट वर्ष 2013-14 में मात्र 4,295 करोड़ रुपये था, जो कि अब वर्ष 2023-24 में लगभग 12,462 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

कश्यप के बयानों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण केंद्र सरकार द्वारा लिखित दस्तावेज होता है, जिसका परंपरागत रूप से राष्ट्रपति पठन करते हैं।

राष्ट्रपति के अभिभाषण में टीका टिप्पणी संसदीय परंपरा का हिस्सा रहा है। विपक्ष जिन बिंदुओं से असहमत होता है उस पर टिपपणी करता है। भाजपा इसको आदिवासी राष्ट्रपति से जोड़कर संसद, संविधान और राष्ट्रपति का अपमान कर रही है।